कांग्रेसी नेता अशोक गहलोत ने राजस्थान में भाजपा के ‘मिशन-180’ पर सवाल उठा दिया है। उन्होंने कहा, कई माह पहले मिशन-180 की बात करने वालों की आज बोलती बंद हो चुकी है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह राजस्थान में चार बार गए हैं। पहली बार उन्होंने कहा था कि राजस्थान में हमारा मिशन-180 विधानसभा सीटें जीतने का है। अब ऐसा क्या हो गया है कि 180 सीटों की बात करने वालों की जुबान से ये शब्द निकलता ही नहीं है। कांग्रेसी नेता ने कहा, हम अति उत्साह में कतई नहीं हैं, लेकिन यह भी सच है कि राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करने वालों की लाइन लगी है।
गहलोत बुधवार को कांग्रेस पार्टी के 24-अकबर रोड स्थित कार्यालय में आयोजित एक पत्रकारवार्ता में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, भाजपा के पास कोई मुद्दा ही नहीं है। खुद उनके नेताओं को नहीं मालूम कि उन्हें क्या भाषा बोलनी है। जब कुछ भी नहीं बचता तो राम मंदिर की भाषा बोलने लगते हैं। पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रति लोगों का अभूतपूर्व झुकाव देखने को मिल रहा है। इससे भाजपा वाले घबराए हुए हैं। यही वजह है कि अब वे लोभ-लालच देकर, साधनों का दुरुपयोग करके और साम-दाम दंड-भेद कर कैसे कामयाब हों, उस नीति पर आ गए हैं। आज देश के सामने राफेल का मुद्दा है, सीबीआई का मुद्दा है, महंगाई का मुद्दा है, बेरोजगारी का मुद्दा है, लेकिन इन सबसे परे भाजपा ने अचानक से एक बार फिर राम मंदिर का मुद्दा छेड़ दिया है।
आरएसएस का यू-टर्न समझ से बाहर है…
कांग्रेसी नेता ने कहा, आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने कुछ दिन पहले विज्ञान भवन में कहा था कि राम मंदिर का मुद्दा कभी आरएसएस का था ही नहीं, ये तो वीएचपी का मुद्दा था। उसके 15 दिन बाद ही एक यू-टर्न देखने को मिला। भागवत ने कहा कि कानून बनाकर राम मंदिर बनना चाहिए। इतना ही नहीं, आरएसएस प्रमुख ने यह भी कह दिया कि मंदिर के लिए 1992 जैसा आंदोलन हो सकता है। पूरा देश भाजपा और आरएसएस की नीति को समझ रहा है।
आरएसएस और भाजपा वालों ने एक ऊंगली तक नहीं कटाई…
गहलोत ने भाजपा को आड़े हाथ लेते हुए कहा, आजादी से पहले और उसके बाद कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने बलिदान दिया है। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का उदाहरण देश के सामने है। आरएसएस और भाजपा वालों ने क्या किया है। आरएसएस और भाजपा वालों ने देश के लिए अपनी एक ऊंगली तक नहीं कटाई है। इन्होंने देश की आजादी के लिए हुए आंदोलन में भी हिस्सा नही लिया। ये फासिस्ट लोग हैं, लोकतंत्र में इनका विश्वास नहीं है। आज इनका खुद का ग्राफ नीचे आ रहा है। वजह, शासन की कमान केवल दो लोगों के हाथ में होना है। एनडीए सरकार केवल नरेंद्र मोदी और अमित शाह चला रहे हैं।