भाजपा ने राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए 31 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है। लेकिन पहली लिस्ट की तरह दूसरी में भी पार्टी ने किसी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है। इसके पूर्व राजस्थान अल्पसंख्यक मोर्चे ने किसी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट न देने पर नाराजगी जाहिर की थी। पार्टी ने वसुंधरा सरकार में मंत्री रहे नागौर के विधायक हबीबुर्रहमान को भी टिकट नहीं दिया जिससे नाराज रहमान ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया।
राजस्थान भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे के उपाध्यक्ष एम सादिक खान ने किसी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट न देने पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने इस मुद्दे को उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पार्टी के शीर्ष नेताओं को पत्र भी लिखा था। उन्होंने कहा था कि किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट न देने के बाद वे किस मुंह से अल्पसंख्यक समाज के लोगों के पास जाकर भाजपा को वोट देने के लिए कहें।
भाजपा की सांप्रदायिक सोच आ रही सामने : कांग्रेस
शीर्ष कांग्रेसी नेता राशिद अल्वी ने भाजपा की इस नीति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उसकी सांप्रदायिक सोच एक बार नहीं, बार-बार लोगों के सामने आ रही है। भाजपा यह संकेत दे रही है कि उसे मुस्लिम समाज के लोगों की कोई जरुरत नहीं है। जबकि सच्चाई यह है कि यह देश हिंदू-मुस्लिम दोनों धर्मों की एकता का साक्षी रहा है। और दोनों के साथ आने से इस देश की नींव मजबूत हुई है।
भाजपा खुलकर खेल रही हिंदुत्व का कार्ड
लेकिन भाजपा की चुनावी रणनीति पर बारीक निगाह रखने वाले लोगों की निगाह में इसमें कुछ भी अप्रत्याशित नहीं है। भाजपा जिस तरह खुलकर हिंदुत्व कार्ड खेल रही है उससे इस समय की राजनीति में उसे यही जान पड़ता है।
ध्यान रहे कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2014 और उसके बाद उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी किसी भी मुस्लिम को अपना चेहरा नहीं बनाया था। हालांकि जीत के बाद मोहसिन रजा को बाहर से लाकर अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री बना दिया गया था।