सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की समीक्षा के लिए आज बुलाई गई सर्वदलीय बैठक

सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की समीक्षा के लिए आज बुलाई गई सर्वदलीय बैठक

सबरीमाला पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कि उनकी तरफ से सितंबर महीने में सभी आयुवर्ग की महिलाओं के मंदिर प्रवेश के फैसले पर एक बार फिर से विचार किया जाएगा, ये खबर विरोध कर रहे लोगों के लिए खुशी बनकर आई। लेकिन, जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने उस फैसले पर रोक से इनकार किया तो एक बार फिर से सभी ने चुप्पी साध ली।

अब केरल सरकार, प्रदर्शन कर रहे श्रद्धालू और राजनीतिक दलों ने इस बात को माना है कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अपने पहले के आदेश पर फिर से विचार करने के फैसले ने और संशय पैदा करके रख दिया है। इसी बीच सबरीमाला मुद्दे को लेकर आज सर्वदलीय बैठक होने जा रही है। इस बैठक में केरल के सीएम पिनाराई विजयन बातचीत करेंगे।

वहीं, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और भाजपा ने पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। सत्तारूढ़ माकपा ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा, सरकार उसे लागू करेगी।

फैसले पर फौरन रोक सुप्रीम कोर्ट का इनकार

उच्चतम न्यायालय ने केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी आयु-वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के अपने फैसले पर बुधवार को रोक लगाने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष एक वकील ने न्यायालय के 28 सितंबर के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया। इस पर पीठ ने कहा कि 22 जनवरी तक इंतजार करें, जब संविधान पीठ पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मंगलवार को ही चैंबर में इन पुनर्विचार याचिकाओं की विवेचना करने के बाद इन पर 22 जनवरी को सुनवाई करने का निर्णय किया था। पीठ ने इसके साथ ही स्पष्ट किया था कि इस दौरान शीर्ष अदालत के 28 सितंबर के फैसले और आदेश पर कोई रोक नहीं रहेगी।

अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुंपरा ने इस मामले का उल्लेख किया था। उन्होंने ‘नेशनल अयप्पा डेवोटीज (वीमेंस) एसोसिएशन’ की ओर से पुनर्विचार याचिका दायर कर रखी है।

शीर्ष अदालत की मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की आयु की महिलाओं का प्रवेश वर्जित करने को लैगिंग पक्षपात करार देते हुए इसमें सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति प्रदान कर दी थी।

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