राफेल विमान सौदे पर मचे घमासान के बीच विमान बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने दावा किया है कि यह सौदा साफ-सुथरा और नौ फीसदी सस्ता है। उधर, कांग्रेस ने इस दावे को झूठा करार देते हुए आरोप लगाया कि सरकार घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है।.
18 के दाम में 36 विमान :
दसॉल्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एरिक ट्रैपियर ने एक साक्षात्कार में कहा कि 18 तैयार विमानों की जितनी कीमत है, उसी दाम में 36 विमानों का सौदा किया गया। दाम दोगुने होने चाहिए थे, पर चूंकि यह दो सरकारों के बीच करार हुआ और कीमतें उन्होंने तय कीं। इसलिए हमें भी 9% कम दाम पर सौदा करना पड़ा।.
रिलायंस को खुद चुना :
सीईओ ने कहा कि रिलायंस को ऑफसेट पार्टनर चुनने का फैसला उनकी कंपनी का था। रिलायंस के अलावा भी 30 कंपनियां उनके साथ जुड़ी हुई हैं। कांग्रेस के आरोपों पर ट्रैपियर ने कहा, मैं झूठ नहीं बोलता। जो सच मैंने पहले कहा था, वही आज भी कह रहा हूं। मेरी छवि झूठ बोलने वाले की नहीं है। भारतीय वायुसेना इस सौदे से खुश है।
सौदे में बदलाव क्यों :
सीईओ ने कहा कि पहले 126 विमानों का सौदा होना था लेकिन इसमें देरी हो रही थी। भारत को अपनी जरूरतों के हिसाब से तत्काल 36 विमान चाहिए थे, इसलिए साल 2015 में फिर सौदा तय हुआ और पुरानी डील में बदलाव करना पड़ा। उन्होंने कहा कि 30 कंपनियों के साथ समझौता किया जा चुका है, जो पूरे करार का 40% होगा। रिलायंस इस 40% में से 10 फीसदी का साझेदार है। .
भाजपा-कांग्रेस में जुबानी जंग:
कांग्रेस ने दसॉल्ट सीईओ के दावे को मनगढ़ंत झूठ करार दिया है। पार्टी नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि देश सौदे में मनगढ़त नहीं, बल्कि निष्पक्ष जांच चाहता है। सरकार घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है। .
पलटवार करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दसॉल्ट के सीईओ ने साफ कर दिया है कि रिलायंस और 30 अन्य कंपनियों के साथ करार में भारत सरकार की कोईभूमिका नहीं है। इससे कांग्रेस की ओर से फैलाया जा रहा झूठ एक बार फिर उजागर हो गया है।