मंदिर की सीढ़ियों पर चलता है यह अनूठा स्कूल

मंदिर की सीढ़ियों पर चलता है यह अनूठा स्कूल

इंसान की एक छोटी सी कोशिश समाज में बड़ा बदलाव ला सकती है। यकीन न हो तो गुरमीत कौर से मिल लीजिए। गुरमीत स्मार्ट सिटी बरेली का सबसे अनूठा स्कूल चला रही हैं। उनका स्कूल त्रिवटीनाथ मंदिर की सीढ़ियों पर संचालित होता है। उन बच्चों के लिए जिनके माता-पिता न तो उनको स्कूल भेजने में सक्षम हैं और न ही कहीं मोटी फीस देकर ट्यूशन पढ़वा सकने में। मगर गुरमीत के अनूठे स्कूल में वो रोज पढ़ते हैं। सर्दी, गर्मी, जाड़ा, बरसात किसी भी मौसम की परवाह किए बगैर।

खुद एक साधारण परिवार से होकर गरीब बच्चों की जिंदगी में शिक्षा का उजाला लाने की गुरमीत की यह कोशिश 10 साल पहले शुरू हुई थी। पति के साथ मंदिर में भगवान के दर्शन करने आईं। वहां तमाम छोटे-छोटे बच्चों को इधर-उधर घूमते देखा। बच्चों से बात की पता चला कि कुछ सरकारी स्कूल में जाते हैं और बाकी पढ़ते ही नहीं। गुरमीत ने बच्चों को पढ़ाने की ठानी। कुछ बच्चों के माता-पिता से बात की। वो बच्चों को पढ़वाने के लिए राजी हो गए। कहीं जगह नहीं मिली तो गुरमीत ने मंदिर की सीढ़ियों पर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। शुरुआत में एक, दो बच्चे आए मगर बाद में यह आंकड़ा 40 के पार पहुंच गया।

पति की मौत के बाद भी नहीं छोड़ा पढ़ाना  
पहले साल गुरमीत के अनूठे स्कूल में करीब 20 बच्चे आए। अगले साल फिर अभिभावकों ने उनसे बच्चों को पढ़ाने की अपील की। उनके अनूठे स्कूल में हर साल एक दो बच्चे बढ़ जाते। चार साल पहले गुरमीत के पति की मौत हो गई। ऐसे में उन पर परिवार की जिम्मेदारी भी आ गई। बेटे-बेटी की पढ़ाई जारी रखने के लिए गुरमीत ने सिविल लाइंस के एक कंप्यूटर सेंटर में नौकरी शुरू की। आठ से दो बजे तक नौकरी करने के बाद वह 4 से 6 बजे तक बच्चों को पढ़ाने के लिए पहुंच जाती हैं। गुरमीत की बेटी 12वीं और बेटा 11वीं कक्षा में पढ़ रहा है। वह दोनों को पढ़ा लिखाकर काबिल बनाना चाहती हैं।

प्रार्थना से शुरुआत फिर हर विषय की पढ़ाई 
गुरमीत के अनूठे स्कूल की शुरुआत प्रार्थना के साथ होती है। इसके बाद हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान हर विषय की पढ़ाई होती है जो बच्चे स्कूल जाते हैं वो अपने स्कूल की किताबों से पढ़ते हैं और बाकी के लिए गुरमीत जैसे-जैसे किताबों की व्यवस्था कर देती हैं। कभी-कभी किसी बच्चे के पास कापी-किताब नहीं होते तो वह दूसरे की किताब में देखकर पढ़ लेता है।

भोले के सैकड़ों भक्त, बच्चों का मददगार कोई नहीं 
जिस मंदिर की सीढ़ियों पर गुरमीत का स्कूल चलता है वहां रोजाना शहर के सैकड़ों लोग पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं। बच्चों को पढ़ता देख तमाम लोगों के पैर ठिठकते हैं मगर फिर वो बिना मदद किए आगे बढ़ जाते हैं। मंदिर की सीढ़ियों से 20 कदम की दूरी पर भोजीपुरा विधायक बहोरनलाल मौर्य का घर है। मगर विधायक जी भी आज तक मदद को नहीं पहुंचे।

बाल दिवस का गिफ्ट लेकर पहुंचे राजेश जौली व नरेन्द्र 
गुरमीत के अनूठे स्कूल के बारे में सुनकर जीआरएम स्कूल के प्रबंधक राजेश जौली, उनकी पत्नी पारुल अग्रवाल, मोबाइल कारोबारी नरेन्द्र राणा बच्चों के लिए बाल दिवस के गिफ्ट लेकर पहुंचे। राजेश अग्रवाल और पारुल अग्रवाल ने बच्चों को कॉपी, किताबें, पेंसिल, बॉक्स और पढ़ाई का दूसरा सामान बांटा। उन्होंने कहा कि वह बच्चों की मदद के लिए हमेशा तैयार हैं। नरेन्द्र राणा ने गुरमीत कौर को मोबाइल भेंट किया।

यह हो जाए तो बदल जाएं स्कूल के दिन 
1-त्रिवटीनाथ मंदिर समिति बच्चों को पढ़ने के लिए दे दे एक कमरा।
2-बच्चे जमीन पर बैठते हैं। बैठने के लिए हो दरी या टाट पट्टी की व्यवस्था।
3-बच्चों की क्लास में लग जाए ब्लैक बोर्ड, किताबें रखने को बांटे जाएं बस्ते।
4-सर्दी के मौसम में बच्चों को बांटे जाएं गर्म कपड़े, जिससे वो आराम से पढ़ सकें।
5-गुरमीत की हौसला अफजाई को कुछ और लोग आएं उनके साथ, करें आर्थिक मदद।

मैंने अपनी तरफ से एक छोटी सी कोशिश की। बच्चें और उनके अभिभावकों से इतना सम्मान मिला कि एक बार मंदिर की सीढ़ियों पर खुला स्कूल फिर बंद नहीं हुआ। पति की मौत के बाद मैं आर्थिक संकट में घिर गई। मगर बच्चों के प्यार ने मेरे कदम रुकने नहीं दिए। शहर के जिम्मेदार लोग थोड़ी-थोड़ी मदद कर दें तो यह वाकई बरेली का सबसे अनूठा स्कूल बन जाए।
–गुरमीत कौर, अनूठे स्कूल की टीचर। 

मैं इन बच्चों की मदद के लिए हमेशा तैयार हूं। बच्चों को जब भी कॉपी, किताब, पेन, र्पेंसल, बैग की जरूरत होगी मैं हमेशा हाजिर रहूंगा। गुरमीत की कोशिश को मैं नमन करता हूं।
–राजेश जौली, प्रबंधक, जीआरएम स्कूल 

गुरमीत जैसी कोशिश और लोग भी करें तो शहर का कोई भी बच्चा निरक्षर न रहे। अनूठे स्कूल में आकर बहुत अच्छा लगा। हम बच्चों की मदद को हमेशा तैयार हैं।
–पारुल अग्रवाल, जीआरएम स्कूल 

गुरमीत का मोबाइल कहीं खो गया था। उनको मोबाइल की जरूरत थी। मैंने उनको अपनी तरफ से मोबाइल भेंट कर दिया। आगे भी जो मदद होगी मैं करूंगा।

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