केंद्र सरकार ने वायु सेना के लिए 36 राफेल लड़ाकू विमान सौदे की कीमत का जो ब्योरा सील बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपे थे, उस पर सुनवाई शुरू हो चुकी है। इस मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसके कौल एवं न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ कर रही है।
– इस मामले में आप नेता संजय सिंह की तरफ से पेश हुए वकील ने कोर्ट को कहा कि 36 राफेल विमान सौदे की कीमत दो बार सामने आई जबकि सरकार ने दलील दी है कि कीमत को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।
याचिकाकर्ताओं ने सौदे की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की है। केंद्र सरकार ने सोमवार को राफेल विमान की खरीद प्रक्रिया में उठाए गए कदमों के विवरण संबंधी दस्तावेज याचिकाकर्ताओं को सौंपे थे। सरकार ने विमान की कीमतों का ब्योरा सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा था। याचिकाकर्ता दस्तावेजों में दर्ज बातों पर अपनी दलील दे सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- साझा करें डील को लेकर ब्यौरा
इससे पहले, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक 36 राफेल विमानों की खरीद के संबंध में किये गए फैसले के ब्योरे वाले दस्तावेज याचिकाकर्ताओं को सौंप दिए। पीटीआई की खबर के मुताबिक दस्तावेजों के अनुसार राफेल विमानों की खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया है।
विमान के लिये रक्षा खरीद परिषद की मंजूरी ली गई और भारतीय दल ने फ्रांसीसी पक्ष के साथ बातचीत की। पीटीआई के मुताबिक दस्तावेजों में कहा गया है कि फ्रांसीसी पक्ष के साथ बातचीत तकरीबन एक साल चली और समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति की मंजूरी ली गई।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर के सुनवाई को दौरान फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद पर केन्द्र सरकार से ब्योरा मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने एनडीए सरकार से कहा था कि वह 10 दिनों के भीतर राफेल लड़ाकू विमानों से जुड़े ब्यौरे बंद लिफाफे में सौपें। तब सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अदालत से कहा था कि सरकार के लिए अदालत को कीमतों की जानकारी उपलब्ध कराना संभव नहीं होगा क्योंकि यह जानकारी संसद को भी नहीं दी गई है।