राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सरकार से अपील की है कि शादी के लिए लड़के और लड़कियों की उम्र एकसमान होनी चाहिए। आयोग की दलील है कि लड़का-लड़की की उम्र एक समान करने से बाल विवाह में कमी आएगी। हालांकि आयोग ने यह स्पष्ट नहीं किया शादी की उम्र क्या होनी चाहिए।
इसमें से एक सुझाव यह भी था कि लड़का-लड़की की शादी की उम्र एक समान की जाए। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि दोनों की उम्र एकसमान रखने के पहलू की जांच की जाए। उन्होंने बताया कि दुनिया के तकरीबन 125 देशों में शादी के लिए लड़का और लड़की की उम्र बराबर है।
अंबुज शर्मा ने बाल विवाह रोकने के लिए साझा न्यूनतम कार्यक्रम लाए जाने की सिफारिश की है। उनका कहना है कि बाल विवाह रोकने वाले अधिकारियों के प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए इंसेंटिव देने का प्रावधान होना चाहिए। इसके अलावा बाल विवाह के ज्यादातर मामले गांवों से आते हैं, ऐसे में गांवों के विकास सूचकांक में बाल विवाह को भी शामिल किया जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि सरकार को भेजे सुझावों में उन्होंने देश के हर गांव में बाल विवाह की रोकथाम के लिए एक अधिकारी नियुक्त करने के लिए भी कहा है। अंबुज शर्मा का कहना है कि कर्नाटक में यह व्यवस्था पहले से ही लागू है और वहां तकरीबन 50 हजार बाल विवाह निषेध अधिकारी तैनात हैं।