शादी की उम्र एकसमान होने से रुक सकते हैं बाल विवाह

शादी की उम्र एकसमान होने से रुक सकते हैं बाल विवाह

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सरकार से अपील की है कि शादी के लिए लड़के और लड़कियों की उम्र एकसमान होनी चाहिए। आयोग की दलील है कि लड़का-लड़की की उम्र एक समान करने से बाल विवाह में कमी आएगी। हालांकि आयोग ने यह स्पष्ट नहीं किया शादी की उम्र क्या होनी चाहिए।

देश में फिलहाल शादी की उम्र लड़की के लिए 18 साल और पुरुषों की 21 साल निर्धारित है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बाल विवाह रोकने के लिए कानून मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को कई सुझाव भेजे हैं। इनमें 18 साल तक के बच्चों या कक्षा बारहवीं तक अनिवार्य मुफ्त शिक्षा देने जैसे सुझाव भी शामिल हैं। फिलहाल सरकार दसवीं कक्षा तक या 12 साल तक की उम्र के बच्चों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध करा रही है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सेक्रेटरी-जनरल अंबुज शर्मा ने बताया कि अगस्त माह में बाल विवाह पर 10 राज्यों के साथ दो दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस आयोजित की गई थी। इस कांफ्रेंस में बाल विवाह की रोकथाम पर उन्हें कई सुझाव मिले थे।

इसमें से एक सुझाव यह भी था कि लड़का-लड़की की शादी की उम्र एक समान की जाए। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि दोनों की उम्र एकसमान रखने के पहलू की जांच की जाए। उन्होंने बताया कि दुनिया के तकरीबन 125 देशों में शादी के लिए लड़का और लड़की की उम्र बराबर है।

अंबुज शर्मा ने बाल विवाह रोकने के लिए साझा न्यूनतम कार्यक्रम लाए जाने की सिफारिश की है। उनका कहना है कि बाल विवाह रोकने वाले अधिकारियों के प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए इंसेंटिव देने का प्रावधान होना चाहिए। इसके अलावा बाल विवाह के ज्यादातर मामले गांवों से आते हैं, ऐसे में गांवों के विकास सूचकांक में बाल विवाह को भी शामिल किया जाना चाहिए।

उन्होंने बताया कि सरकार को भेजे सुझावों में उन्होंने देश के हर गांव में बाल विवाह की रोकथाम के लिए एक अधिकारी नियुक्त करने के लिए भी कहा है। अंबुज शर्मा का कहना है कि कर्नाटक में यह व्यवस्था पहले से ही लागू है और वहां तकरीबन 50 हजार बाल विवाह निषेध अधिकारी तैनात हैं।

आयोग के सूत्रों का कहना है कि इन सिफारिशों को भेजने के पीछे मुख्य वजह महिलाओं को सशक्त बनाना और मौजूदा कानूनी ढांचे की कमियों को दूर करना है। उनका कहना है कि लड़कों और लड़कियों की शादी की कानूनन उम्र सालों पहले तय की गई थी।
लड़कियों की उम्र कम रखने के पीछे यह विचार था कि लड़कों के मुकाबले लड़कियां जल्दी जवान होती हैं। लेकिन आज के वक्त में यह अवधारणा ही बेमानी है। उन्होंने बताया कि साल 2008 में भी विधि आयोग ने सरकार से शादी के लिए लड़के-लड़की की कानूनन उम्र 18 साल करने की सिफारिश की थी।
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