उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या के राम मंदिर विवाद पर सुनवाई अगले साल जनवरी तक के लिए टाल दी है। इससे साधु संत के साथ ही भाजपा के अंदर से भी विरोध की आवाजें उठ रही हैं। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सरकार से इस मसले पर एक अध्यादेश लाने के लिए कह रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शु्क्रवार की देर रात मुंबई के रामभाऊ महालगी प्रबोधनी में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और संघ प्रमुख मोहन भागवत के बीच बैठक हुई। माना जा रहा है कि दोनों में मंदिर निर्माण सहित चुनाव को लेकर चर्चा हुई।
संघ मंदिर निर्माण को लेकर सख्त रुख अख्तियार किए हुए है। इसी वजह से इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है। शाह और भागवत के बीच विधानसभा और लोकसभा चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई। बुधवार को आरएसएस ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर के शीघ्र निर्माण के लिए अध्यादेश लाने या फिर कानून बनाने की अपनी मांग को दोबारा दोहराया था। दोनों के बीच बंद दरवाजों में यह बैठक हुई। सूत्रों की मानें तो मुलाकात में राम मंदिर और सबरीमाला पर बातचीत हुई। दोनों के बीच एक घंटे से ज्यादा समय तक बातचीत हुई।
मंदिर निर्माण को लेकर अमित शाह ने खुलकर बयान दिया है। एक महीने पहले उन्होंने कहा था कि वह चाहते हैं कि राम मंदिर का निर्माण 2019 से शुरू हो जाए। हाल ही में उन्होंने कहा था कि विवादित जमीन के मालिकाना हक के बारे में फैसला करते वक्त इस बात को दरकिनार नहीं किया जा सकता है कि भगवान राम के जन्मस्थान पर स्थित उनके मंदिर को गिराया गया है। उन्होंने कहा था कि हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि 600 साल पहले अयोध्या के राम मंदिर को गिराया गया था।
पिछले दिनों संघ ने कहा था कि सरकार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण करनी चाहिए। साथ ही कहा कि इस संबंध में कानून बनने की जरूरत है ताकि अयोध्या में जल्दी से जल्दी राम मंदिर का निर्माण हो सके। बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने बीते सोमवार को कहा था कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक विवाद मामले में दायर दीवानी अपीलों को जनवरी, 2019 में एक उचित पीठ के सामने सूचीबद्ध किया जाएगा। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ ने यह बात कही।