रेलवे ग्रुप-डी परीक्षा में सॉल्वर बैठाने वाले गैंग का खुलासा हुआ है। यूपी एसटीएफ ने मंगलवार को कानपुर में बिठूर के एक परीक्षा केंद्र से एक अभ्यर्थी और सॉल्वर को गिरफ्तार कर बिठूर पुलिस को सौंप दिया है। सॉल्वर पटना में आयकर विभाग का कर्मचारी है। यह गैंग प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र भी आउट कराता है। गैंग का सरगना रेलवे कर्मी शैलेंद्र कुमार और उसके साथियों की तलाश की जा रही है। मंगलवार को रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा में सॉल्वरों को बैठाने की सूचना पर प्रदेश भर के एसटीएफ अफसरों को अलर्ट किया गया था।
इस पर एसटीएफ के स्थानीय इकाई के इंस्पेक्टर घनश्याम यादव ने टीम के साथ मंधना, बिठूर के एक सेंटर पर छापा मारकर सॉल्वर कौशल किशोर मंडल और अभ्यर्थी विनय यादव को धर दबोचा। इंस्पेक्टर के मुताबिक कौशल किशोर अरवल, बिहार के दनीयाला और विनय कुमार जहानाबाद, बिहार के मझनपुरा सुंरगापुर का रहने वाला है। कौशल पटना में आयकर विभाग में नौकरी करता है।
आरोपियों से दो मोबाइल फोन, एक फर्जी वोटर आईडी, दो एडिमट कार्ड, कौशल का आयकर विभाग का आईकार्ड, पूर्व मध्य रेलवे का आईकार्ड, दो आधार और दो एटीएम कार्ड के साथ ही 3560 रुपये बरामद हुए हैं। गैंग का सरगना भगवानगंज, पटना के खरौना निवासी शैलेंद्र कुमार है। वह रांची रोड के बरकाकाना रेलवे स्टेशन का गेट मैन है।
4.50 लाख मेें तय था सौदा
एसटीएफ अफसरों के मुताबिक विनय की जगह सॉल्वर बैठाने के लिए सरगना शैलेंद्र से 4.50 लाख रुपये में सौदा हुआ था। सॉल्वर कौशल किशोर विनय यादव के नाम से परीक्षा दे रहा था। अभ्यर्थी विनय यादव विनय कुमार के नाम से परीक्षा दे रहा था।
एसटीएफ अफसरों के मुताबिक विनय की जगह सॉल्वर बैठाने के लिए सरगना शैलेंद्र से 4.50 लाख रुपये में सौदा हुआ था। सॉल्वर कौशल किशोर विनय यादव के नाम से परीक्षा दे रहा था। अभ्यर्थी विनय यादव विनय कुमार के नाम से परीक्षा दे रहा था।
सॉल्वर का कहना है कि बॉयोमैट्रिक और आंसर शीट में अलग-अलग नाम और रोल नंबर नहीं होने से उसके फंसने की संभावना कम थी। इसके बावजूद एसटीएफ के हत्थे चढ़ गए। कौशल किशोर यूपी, एमपी और बिहार समेत कई प्रांतों में दूसरे की जगह परीक्षा दे चुका है।
नौकरी दिलाने का देते थे झांसा
सॉल्वर ने बताया वह और गैंग से जुड़े अन्य लोग बेरोजगारों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर जाल में फंसाते थे। सौदा तय होने पर विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के फार्म भरवाते हैं। फिर उनकी जगह सॉल्वर को परीक्षा में बिठा देते हैं। ऐसा करके वह कई को नौकरी दिलाकर लाखों रुपये कमा चुके हैं।
सॉल्वर ने बताया वह और गैंग से जुड़े अन्य लोग बेरोजगारों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर जाल में फंसाते थे। सौदा तय होने पर विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के फार्म भरवाते हैं। फिर उनकी जगह सॉल्वर को परीक्षा में बिठा देते हैं। ऐसा करके वह कई को नौकरी दिलाकर लाखों रुपये कमा चुके हैं।
12 मई 2010 को सुबह साढ़े नौ बजे विजय नगर निवासी अनिल वाल्मीकि अपनी शादी का कार्ड बांटने बाइक से निकला था। महात्मा गांधी इंटर कॉलेज के पास ट्रांसफार्मर के सामने कुछ लोगों ने बीच सड़क पर तमंचे से गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। उसके भाई सुनील कुमार ने अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। मामले में पुलिस ने दलेलपुरवा अनवरगंज निवासी बबीश उर्फ भविष्य, बर्रा-6 निवासी राजा पासवान, महेश सुमन, जितेंद्र वाल्मीकि और बर्रा-7 निवासी अंशू यादव को 29 अगस्त को आर्डनेंस फैक्ट्री के पास से कार से जाते समय गिरफ्तार किया। सभी के खिलाफ हत्या का मुकदमा चला। इनमें से राजा, महेश, जितेंद्र व अंशू के पास से तमंचा भी बरामद दिखाया। चारों के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज है।
कोर्ट में मुकरे चश्मदीद गवाह
विशेष अभियोजन अधिकारी राजेश शुक्ला ने बताया कि विवेचक हेमंत राय ने मामले की विवेचना की और बलवंत चौधरी ने 20 दिसंबर 2010 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। हेमंत राय ने 27 गवाह बनाए, इनमें से नौ को चश्मदीद के रूप में रखा। हेमंत के अनुसार पुलिस को दिए बयानों में इन गवाहों ने आरोपियों को पहचानकर उनकी शिनाख्त की। किसी ने मौके पर आरोपियों को देखने की बात कही तो किसी ने समाचार पत्र या टीवी पर आरोपियों को देखकर पहचाना, लेकिन कोर्ट में आए सभी नौ चश्मदीद गवाह पक्षद्रोही हो गए। सभी ने कहा कि वे आरोपियों को नहीं पहचानते। न ही उन्होंने हेमंत को कोई बयान दिया। कोर्ट में 19 गवाह परीक्षित किए जा चुके हैं। सभी चश्मदीद गवाहों के बयानों से मुकरने के बाद मुकदमे में नया मोड़ आ गया है।
ब्याज पर रुपये देने की रंजिश
पुलिस चार्जशीट के मुताबिक, बबीश ब्याज पर रुपये देने का काम करता था। अनिल ने भी ब्याज पर रकम उठानी शुरू कर दी। अनिल के कारण बबीश के कई ग्राहक कट गए थे। इस पर बबीश अनिल से रंजिश मानने लगा था। बबीश ने उससे धंधा छोड़ने को कहा। नहीं मानने पर अनिल की हत्या कर दी गई।
विशेष अभियोजन अधिकारी राजेश शुक्ला ने बताया कि विवेचक हेमंत राय ने मामले की विवेचना की और बलवंत चौधरी ने 20 दिसंबर 2010 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। हेमंत राय ने 27 गवाह बनाए, इनमें से नौ को चश्मदीद के रूप में रखा। हेमंत के अनुसार पुलिस को दिए बयानों में इन गवाहों ने आरोपियों को पहचानकर उनकी शिनाख्त की। किसी ने मौके पर आरोपियों को देखने की बात कही तो किसी ने समाचार पत्र या टीवी पर आरोपियों को देखकर पहचाना, लेकिन कोर्ट में आए सभी नौ चश्मदीद गवाह पक्षद्रोही हो गए। सभी ने कहा कि वे आरोपियों को नहीं पहचानते। न ही उन्होंने हेमंत को कोई बयान दिया। कोर्ट में 19 गवाह परीक्षित किए जा चुके हैं। सभी चश्मदीद गवाहों के बयानों से मुकरने के बाद मुकदमे में नया मोड़ आ गया है।
ब्याज पर रुपये देने की रंजिश
पुलिस चार्जशीट के मुताबिक, बबीश ब्याज पर रुपये देने का काम करता था। अनिल ने भी ब्याज पर रकम उठानी शुरू कर दी। अनिल के कारण बबीश के कई ग्राहक कट गए थे। इस पर बबीश अनिल से रंजिश मानने लगा था। बबीश ने उससे धंधा छोड़ने को कहा। नहीं मानने पर अनिल की हत्या कर दी गई।
बयानों की सीडी तैयार करनी चाहिए
एसपीओ राजेश शुक्ला का कहना है कि ऐसे गंभीर मामलों में विवेचक को सीआरपीसी की धारा-161 के तहत गवाहों के बयानों की सीडी भी तैयार करनी चाहिए। साथ ही गवाहों के धारा-164 के तहत कोर्ट में भी बयान दर्ज करा देने चाहिए। इससे गवाहों के बयानों से मुकरने की संभावना कम हो जाती है। आरोपियों की संख्या एक से अधिक होने पर मोबाइल लोकेशन का महत्व बढ़ जाता है। विवेचक को मोबाइल की सीडीआर भी कोर्ट में पेश करनी चाहिए। मजबूत साक्ष्य ही दोषियों को अंजाम तक पहुंचा सकते हैं।
एसपीओ राजेश शुक्ला का कहना है कि ऐसे गंभीर मामलों में विवेचक को सीआरपीसी की धारा-161 के तहत गवाहों के बयानों की सीडी भी तैयार करनी चाहिए। साथ ही गवाहों के धारा-164 के तहत कोर्ट में भी बयान दर्ज करा देने चाहिए। इससे गवाहों के बयानों से मुकरने की संभावना कम हो जाती है। आरोपियों की संख्या एक से अधिक होने पर मोबाइल लोकेशन का महत्व बढ़ जाता है। विवेचक को मोबाइल की सीडीआर भी कोर्ट में पेश करनी चाहिए। मजबूत साक्ष्य ही दोषियों को अंजाम तक पहुंचा सकते हैं।