केंद्रीय सूचना आयोग ने सभी सांसदों से कहा है कि एमपी लैड फंड (सांसद निधि) के तहत खर्च राशि की जानकारी अपने वेबपेज पर सार्वजनिक करें। साथ ही संसद से सिफारिश की है कि फंड के इस्तेमाल में पारदर्शिता लाने के लिए उचित कानूनी ढांचा बनाया जाए।
आयोग ने यह आदेश उन दो अपीलों पर जारी किया जिसमें याचिकाकर्ता ने सांसदों द्वारा एमपी लैड फंड के तहत किए गए कामों की जानकारी मांगी थी। यह अर्जियां यह कह कर निस्तारित कर दी गई थी कि फंड का संसदीय क्षेत्रवार हिसाब नहीं रखा जाता। एमपी लैड फंड के लिए कार्यक्रम क्रियान्वयन एवं सांख्यिकी मंत्रालय नोडल मंत्रालय है।
आयोग ने पाया कि मंत्रालय संपत्तियों के सृजन के बारे में सूचनाएं नहीं रखता, उसके लिए वह कलेक्टर पर निर्भर है जो यूटिलाइजेशन प्रमाणपत्र जारी करता है। आयोग ने पाया कि सांसद निधि के 12 हजार करोड़ रुपये इस्तेमाल ही नहीं हुए। सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्यलू ने आदेश में कहा कि सांसद पारदर्शिता के प्रति पार्टी की प्रतिबद्धता का ध्यान रखते हुए कामों का ब्योरा वेबसाइट पर डालेंगे।
कानून बनाए बिना भ्रष्टाचार को रोकना कठिन
सूचना आयोग ने कहा कि इतने विशाल फंड के इस्तेमाल की अपारदर्शी योजना में भ्रष्टाचार को कानूनी फ्रेम के बिना रोकना कठिन है। आयोग ने कहा कि यह दुखद है कि राष्ट्र के लिए कानून बनाने वाले एमपी लैड फंड के लिए कानून नहीं बना पाए। आयोग ने यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया राजनैतिक दलों के संसदीय दल सार्वजनिक निकाय हैं। इस मामले पर अगली सुनवाई 9 अक्तूबर को होगी।