दिल्ली में बत्ती गुल होने पर बिजली कंपनियों से हर्जाना वसूलने की योजना पांच महीने बाद भी लागू नहीं हो सकी है। यह हाल तब है जब दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल इस योजना को मंजूरी दे चुके हैं। दिल्ली सरकार ने इससे संबंधित कानून बनाने के लिए दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) को पत्र लिखा है। सूत्रों के अनुसार, डीईआरसी के पास मामला अटका हुआ है।
अघोषित कटौती से राहत दिलाने को फैसला लिया था
बिजली जाने पर कंपनियों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने यह व्यवस्था लागू करने के आदेश दिए थे। आदेशों के मुताबिक, 50 घरों की बत्ती गुल होने पर बिजली कंपनी को उपभोक्ता को 50 से 100 रुपये का हर्जाना प्रति घंटे के हिसाब से देना था, लेकिन अभी तक कानून नहीं बनने के पेच में सरकार की यह योजना बीच में ही फंस गई है। खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस योजना की घोषणा की थी। बाद में उपराज्यपाल ने भी इसे मंजूरी प्रदान कर दी थी। दिल्ली सरकार ने इस योजना को लागू करने के लिए अप्रैल 2021 में डीईआरसी को आदेश जारी किए थे।
डीईआरसी को बनाना है कानून
प्रावधान के तहत डिस्कॉम व उपभोक्ता के लिए कानून बनाने का अधिकार डीईआरसी के पास है। दिल्ली सरकार के सूत्रों ने बताया कि इस व्यवस्था को लागू करने के लिए सरकार की ओर से आयोग को पत्र भेजा जा चुका है। पत्र में सरकार द्वारा तय प्रावधानों के तहत जारी किए गए आदेशों पर कानून बनाने को कहा गया है। आयोग द्वारा कानून बनने के बाद ही उपभोक्ताओं को बिजली कटौती होने की स्थिति में जुर्माना मिल सकेगा।
सूचना पहले देनी होगी
कटौती के घंटे निर्धारित होने से बिजली कंपनियों को जुर्माना देना पड़ेगा। यह सीधे उपभोक्ता के बिल से जुड़ा होगा। इसकी निगरानी भी आयोग ही करेगा। यह निगरानी रियल टाइम ऑन लाइन पावर सिस्टम की मदद से संभव होगी। यदि किसी भी बिजली कंपनी को नेटवर्क पर काम करना है तो इसकी पूर्व जानकारी उपभोक्ता को भेजनी होगी।
इन मामलों को लेकर दिक्कत
– कंपनियों का तर्क है कि बिजली सिर्फ कंपनी के फॉल्ट से नहीं जाती है
– लाइन फॉल्ट, ट्रांसको या आईपीजीसीएल की स्थिति में जवाबदेही कैसे तय होगी
– प्रमुख बिजली लाइनें ट्रिप होने की स्थिति में कैसे जुर्माना तय होगा
– आकस्मिक फॉल्ट होने की स्थिति में आएगी परेशानी
दिल्ली की प्रधान ऊर्जा सचिव वर्षा जोशी के अनुसार, सरकार की ओर से दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) को दो बार रिमाइंडर नोटिस भेजा जा चुका है। डीईआरसी का कहना है कि वह इस दिशा में काम कर रही है।