आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की कुशलता किसी से छिपी नहीं है। यह तकनीकी तंत्र अभी विकास कर रहा है और इसमें हर दिन एक नया आयाम जुड़ रहा है। ऐसा एक नया अध्याय इसमें तब जुड़ गया जब एआई ने चंद घंटों में ही चंद्रमा पर मौजूद गड्ढों की गिनती कर डाली।
यह अध्ययन पेन्न स्टेट यूनिवर्सिटी के अरि सिलबर्ट और यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के मोहम्मद अली दिब की अगूवाई में शोधकर्ताओं की टीम ने पेश किया। शोधकर्ताओं ने एआई के आकलन के आधार पर चंद्रमा पर मानव बस्ती बसाने और यहां रहने वालों को खतरनाक विकिरण से बचाने की तकनीक विकसित करने की उम्मीद जताई है। एआई के कंप्यूटर सॉफ्टवेयर को चंद्रमा पर मौजूद पांच किलोमीटर से बड़े गड्ढों को चिह्नित करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था।
इस परीक्षण के लिए शोधकर्ताओं ने कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में चंद्रमा के सतह की तकरीबन 90 हजार तस्वीरें दी गई थीं। तस्वीरों का अध्ययन कर एआई ने पूर्व में नहीं चिह्नित किए गए सात हजार गड्ढों की पहचान की। विशेषज्ञों ने यह तस्वीरें आर्टिफीशियल न्यूरल नेटवर्क (एएनएन) को उपलब्ध कराई थीं। एएनएन चीजों को सीखने और प्रशिक्षण के लिए मस्तिष्क की तरह ही काम करता है।
शोधकर्ताओं की टीम के एएनएन को एक तरह की तस्वीरें को एक श्रेणी में रखने और इनमें गड्ढों की पहचान करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। मशीन का जब परीक्षण किया गया तो उसने 6883 नए गड्ढों की पहचान की। शोधकर्ताओं का मानना है कि और प्रशिक्षण से एआई आ इस्तेमाल गड्ढों का बारीक अध्ययन भी किया जा सकता है।
शोध के नतीज न्यू साइंटिस्ट पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। डॉक्टर सिलबर्ट ने कहा कि इस मॉडल में और सुधार करने के बाद पांच किलोमीटर से छोटे आकार गड्ढों की भी पहचान की जा सकेगी।