बेलगाम होती पुलिस की गोली से मारे गये विवेक तिवारी की पत्नी कल्पना ने बुधवार को सवाल किया कि हत्यारे सिपाही के पक्ष में पुलिसकर्मी कैम्पेन कर रहे हैं। …ये लोग अपराधी के लिये चंदा जुटा रहे हैं…। पर, अफसर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं। कल्पना ने यह भी कहा कि रोजाना कोई न कोई वीडियो व आडियो ऐसा वायरल हो रहा है जिसमें विवेक के परिवार को धमकी दी जा रही है। सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट की जा रही हैं। आखिर इन पर लगाम क्यों नहीं लगायी जा रही है। सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने का दावा करने वाली यूपी पुलिस इनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रही है।
कल्पना कहती हैं कि पूरा शहर इस घटना से हिल गया है और अभी भी पति के हत्यारे सिपाही को बचाने के लिये कुछ लोग लामबंद होकर तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। जिस तरह से सोशल मीडिया पर धमकी मिल रही है, उससे वह दहशत में है और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर वह सबसे ज्यादा चिंतित है।
कल्पना का अफसरों से सवाल-यह कैसा अनुशासन
विवेक की हत्या करने वाले सिपाही प्रशांत चौधरी की पत्नी राखी मलिक के खातों में रुपये जमा किये जा रहे हैं। उसके ट्रांसफर की झूठी खबर वायरल की जा रही है…। इन सबसे विवेक की पत्नी कल्पना तिवारी बहुत आहत है। बुधवार को मीडिया से उन्होंने कहा कि उनके पति को बिना खता के ही मार दिया गया। इंसाफ की लड़ाई लड़ने पर अब उन्हें डराया जा रहा है। पुलिसकर्मी धमकी भरा वीडियो वायरल कर रहे हैं…। पुलिस महकमे का यह कैसा अनुशासन है। इस पर अफसर सख्त क्यों नहीं हो रहे हैं।
सुरक्षा करने वाले भी पुलिसकर्मी
कल्पना का भाई विष्णु कहते हैं कि विवेक की हत्या से शहरवासी डरे हुये हैं। जिम्मेदार लोग सोशल मीडिया पर पुलिस के खिलाफ गुस्से का इजहार भी कर रहे हैं। पर, एक ऐसे लोगों का ग्रुप भी तैयार हो रहा है जो आरोपी सिपाहियों के पक्ष में खुलकर खड़े हो रहे हैं। बहन कल्पना का घर तो पुलिस लाइन के पास ही है। यहां सैकड़ों पुलिसकर्मी रहते हैं…। पर, हर किसी को तो शक की निगाह से नहीं देखा जा सकता। आखिर हमारी सुरक्षा करने वाले भी पुलिसकर्मी है। पुलिस पर विश्वास तो है लेकिन सोशल मीडिया पर चल रही मुहिम को न रोका तो उनको डर कर ही रहना होगा।
कौन कर रहा अपराधियों की फंडिंग
विवेक के ससुर रमेश चन्द्र शुक्ला ने भी सवाल उठाया कि आरोपी सिपाही प्रशांत व संदीप के साथी शुरू से ही उसके पक्ष में है। बेगुनाह का कत्ल करने वाले सिपाहियों के लिए कई तर्क गढ़ रहे हैं। वह सिपाहियों के लिए फंड जुटाए जाने की बात से काफी आहत हैं। कहते हैं कि आखिर अपराधी की मदद के लिए रुपए जुटाने वाले लोगों को चिन्हित कर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही।