लेह में 27 के घुटने व कूल्हे बदले

लेह में 27 के घुटने व कूल्हे बदले

एम्स के डॉक्टरों ने समुद्र तल से 11,400 फुट की ऊंचाई पर लेह में 23 से 30 सितंबर तक चले एक सप्ताह के स्वास्थ्य शिविर में 27 लोगों के घुटनों और कूल्हों का सफल प्रत्यारोपण किया। एम्स के ऑर्थो सर्जन प्रोफेसर चंद्र शेखर यादव की टीम ने लेह के सरकारी एसएन मेमोरियल अस्पताल में 21 मरीजों के घुटनों और 6 मरीजों के कूल्हों का प्रत्यारोपण किया। टीम ने हड्डी रोगों से पीड़ित करीब 1200 मरीजों को मुफ्त परामर्श भी दिया। डॉक्टर यादव ने बताया कि अधिक सर्दी से लेह-लद्दाख के लोगों को जोड़ों और घुटनों में दर्द की शिकायत अधिक रहती है। लंबे समय तक बेहद कम तापमान में रहने वाले लोगों के जोड़ों को स्थायी रूप से नुकसान होने लगता है। कई मरीजों की हालत इस कदर खराब होती है कि वे चल-फिर भी नहीं सकते। दिल्ली में भी सर्दियों में घुटनों और जोड़ों में दर्द की शिकायत करने वाले मरीजों की संख्या बढ़ जाती है।

एक हफ्ते का मुफ्त शिविर लगाया  : अशोका मिशन की ओर से एम्स के वरिष्ठ डॉक्टरों का दल हर साल लेह और कारगिल के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त स्वास्थ्य शिविर लगाता है। इस साल 23 से 30 सितंबर तक चले एक सप्ताह के स्वास्थ्य शिविर में एम्स के 28 डॉक्टरों ने हिस्सा लिया। इनमें मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर नंद कुमार, रयूमेटोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉक्टर उमा कुमार, त्वचा रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर केके वर्मा और कैंसर रोगों के प्रोफेसर अतुल शर्मा समेत कई विभाग के प्रोफेसर मौजूद थे।

स्थानीय डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिया

अशोका मिशन से जुड़े लेह के स्थानीय निवासी ताशी मौतुप ने बताया कि यहां के लोगों का इलाज के लिए दिल्ली जाना संभव नहीं होता। डेढ़ लाख की आबादी वाले क्षेत्र में सिर्फ एक ही बड़ा सरकारी अस्पताल है। ऐसे में स्थानीय लोगों की मदद के लिए हम हर साल एम्स के वरिष्ठ प्रोफेसरों को लेह बुलाते हैं। इस बार लेह के सरकारी अस्पतालों में तैनात डॉक्टरों को भी प्रशिक्षित किया गया।

लेह में त्वचा रोग का खतरा 

एम्स के त्वचा रोग विभाग के प्रोफेसर केके वर्मा ने बताया कि 11 हजार फुट की ऊंचाई पर धूप बहुत तेज होती है। इससे स्थानीय लोगों में त्वचा रोग मैदानी इलाकों के लोगों से अधिक होते हैं। अधिक ठंड से उनकी त्वचा सूखी रहती है। लंबे समय बाद यह गंभीर त्वचा रोगों की शक्ल ले सकते हैं। पिछले सालों के मुकाबले यहां त्वचा रोगियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।

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