तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और वाईएसआर कांग्रेस आज केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। अपने चार सालों के कार्यकाल में मोदी सरकार की यह पहली अग्नि परीक्षा है। हालांकि मोदी सरकार को पूरा विश्वास है कि उसे कोई खतरा नहीं है। यहां जानिए इस मामले से जुड़ी 10 खास बातें –
1. 50 सांसदों का समर्थन जरूरी: संसद सचिवालय को अविश्वास प्रस्ताव पर 3 नोटिस मिले हैं, जिनमें से 1 YSRCP और 2 TDP ने दिए हैं। संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन हासिल होना चाहिए। अगर अविश्वास प्रस्ताव को 50 सांसदों से ज्यादा का समर्थन मिला तो स्पीकर प्रश्नकाल के बाद उसे लाए जाने की इजाजत दे सकती हैं।
2. टीडीपी के पास 16 सांसद हैं तो वहीं वाईएसआर कांग्रेस के पास 9 सांसद हैं। दोनों को मिलाकर आंकड़ा सिर्फ 25 पहुंचता है। अविश्वास प्रस्ताव को कांग्रेस, टीएमसी, सपा, आरजेडी के अलावा लेफ्ट पार्टियों समेत दूसरे बीजेपी विरोधी दलों ने भी समर्थन देने का ऐलान किया है।
3. मोदी सरकार को कोई खतरा नहीं- मोदी सरकार ने भरोसा जताया है कि नोटिस स्वीकार कर लिये जाने पर भी लोकसभा में उसकी संख्या बल के कारण प्रस्ताव औंधे मुंह गिर जाएगा। दरअसल लोकसभा में मौजूदा सदस्यों की संख्या 539 है। इस लिहाज से बहुमत का आंकड़ा 270 होता है। सत्तारूढ़ भाजपा के 274 सदस्य हैं। यह बहुमत से अधिक है और पार्टी को कई घटक दलों का समर्थन भी है।
4. क्यों नाराज हुई टीडीपी- भाजपा की लंबे समय से सहयोगी रही टीडीपी आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रही है। केंद्र सरकार का कहना है कि वह विशेष पैकेज देने को तैयार है। इससे नाराज टीडीपी केंद्र सरकार और एनडीए से अलग हो गई है। केंद्र की ओर से आंध्रप्रदेश को विशष दर्जा दिए जाने से इंकार के बाद सबसे पहले वाईएसआर कांग्रेस ने भी पिछले सप्ताह अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया था।
5. अगर शिवसेना भी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोट करती है तो भी मोदी सरकार पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। यह भी देखना है कि स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की अनुमति देती हैं या उसे खारिज कर देती है। टीडीपी का अपने राज्य का मामला है। हम उसका स्वागत करते हैं। हमने अभी तक अविश्वास प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं लिया है। निर्णय उद्धव जी को करना है।
6. क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव- यह लोकसभा में विपक्षा पार्टी की तरफ से सरकार के खिलाफ लाया जाने वाला प्रस्ताव है। अगर विपक्षी पार्टी को ऐसा लगता है कि सरकार के पास आवश्यक बहुमत नहीं है तो वह यह प्रस्ताव लाती है। यह केवल लोकसभा में पेश किया जाता है।
7. पहला अविश्वास प्रस्ताव जवाहर लाल नेहरू की सरकार के खिलाफ लाया गया था। 1963 में जेबी कृपलानी ने संसद में नेहरु सरकार के खिलाफ प्रस्ताव रखा था। लेकिन इसके पक्ष में केवल 62 वोट पड़े थे जबकि प्रस्ताव के विरोध में 347 पोट पड़े थे।
8. मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर AIADMK ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है।
9. कब-कब आया अविश्वास प्रस्तावः अब तक प्रधानमंत्रियों को दो दर्जन बार इसका सामना करना पड़ा है। पांच अविश्वास प्रस्ताव सफल रहे हैं और 7 असफल।
10. किस किस की गिरी सरकारः नब्बे के दशक में विश्वनाथ प्रताव सिंह, एच डी देवेगौड़ा, आई के गुजराल और अटल बिहारी की सरकारें विश्वास प्रस्ताव हार गई थीं। 1979 में ऐसे ही एक प्रस्ताव के पक्ष में जरूरी समर्थन न जुटा पाने के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री चरण सिंह ने इस्तीफा दे दे दिया था।