एक सामान नाम संचालित दो फर्जी शिक्षा बोर्ड के कार्यालयों और उनसे जुड़े लोगों को ठिकानों पर दबिश के दौरान सीबीआई को बड़ी संख्या में दस्तावेज बरामद हुए हैं। सीबीआई की आठ टीमें यूपी और ग्वालियर में अलग-अलग स्थानों पर दबिश के बाद गुरुवार देर शाम दून वापस लौट आई हैं। दोनों बोर्डों के मुख्य कार्यालय कासगंज और गाजियाबाद में जांच के दौरान वीडियो रिकार्डिंग भी कराई गई।
यूपी शिक्षा विभाग में नियुक्त दस शिक्षकों ने अपने 10वीं या 12वीं के सर्टिफिकेट बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन, मध्य भारत, ग्वालियर में लगाए थे। शिक्षा विभाग को जांच में इस पर संदेह हुआ। मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो यूपी हाईकोर्ट से दोनों बोर्ड की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। सीबीआई ने शुरुआती जांच में पाया कि एक ही नाम के दो फर्जी बोर्ड वर्ष 2011-12 से संचालित हो रहे थे। बोर्ड के दोनों दफ्तरों से 90 के दशक से लेकर हाल तक लोगों को पैसे लेकर मनमर्जी के नंबर देकर सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं। बोर्ड ने अपने कागजों में संबंधित स्कूल भी बनाए हुए थे।
बोर्ड के फर्जीवाड़े का एक मुकदमा सीबीआई गाजियाबाद कार्यालय में जबकि दूसरा लखनऊ में दर्ज हुआ है। हालांकि दोनों केसों की जांच सीबीआई दून कार्यालयों से की जा रही है। बोर्डों के कार्यालय और उनसे जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापेमारी के लिए सीबीआई दून कार्यालय से आठ टीमें बनाकर भेजी गई थी। इनमें तीन टीमों ने ग्वालियर, दो गाजियाबाद, दो ने संभल जबकि एक टीम ने कासगंज में छापेमारी की। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक इस दौरान दोनों बोर्डों के दफ्तरों आरोपियों के ठिकानों से सीबीआई को फर्जी मुहरें, शैक्षिक प्रमाण पत्र, ट्रांसफर सर्टिफिकेट, 114 स्कूलों का मान्यता रजिस्टर का रिकार्ड और सरकारी विभागों से वैरिफिकेशन के लिए भेजे गए दस्तावेजों के क्लीयरेंस पत्र मिले हैं। गाजिबाद में बोर्ड कार्यालय का संचालन महेश चंद्रवंशी जबकि ग्वालियर कार्यालय का संचालन गंगा दयाल शाक्या कर रहा था। दोनों बोर्डों के खिलाफ दर्ज मुकदमों में 26 लोग नामजद किए गए हैं।