गणपति बप्पा की मूर्तियां दून के भक्तों को पर्यावरण सुरक्षा का संदेश देंगी। इस बार गणेश भक्त पर्यावरण सुरक्षा को लेकर संजीदा नजर आ रहे है। मूर्ति विसर्जन के दौरान किसी प्रकार का पर्यावरण नुकसान न हो इसके लिए चिकनी मिट्टी से बनी मूर्तियां खरीदी जा रही है। करनपुर रोड स्थित बंगाली लाइब्रेरी में पिछले 20 सालों से गणेश मूर्ति बनाने का काम करने वाले बंकिम पाल ने बताया कि इस बार उनके पास गणेश भगवान की मूर्ति को लेकर 95 प्रतिशत लोगों ने मिट्टी से बनी मूर्ति ऑर्डर की है। उन्होंने बताया कि पिछले साल तक पीओपी से बनी मूर्तियों की काफी डिमांड थी, लेकिन इस बार मिट्टी से बनी मूर्तियां ही पहली पसंद बनी हुई है। उनके पास 2000 से लेकर 40000 रुपये तक की मूर्तियों उपलब्ध है।
गणपति बप्पा की सबसे बड़ी मूर्ति क्लेमनटाउन में स्थापित होगी: बंगाली लाइब्रेरी में मूर्तियों पर सजावट का काम करने वाले दिलीप दास ने बताया कि इस बार उनके पास गणपति बप्पा की सबसे बड़ी 10 फीट की मूर्ति का ऑर्डर गणेश महोत्सव सेवा समिति क्लेमेंटाउन की ओर से आया है। पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए मिट्टी से बनाई गई मूर्तियों के लिए ऋषिकेश व हरिद्वार से मिट्टी को उपयोग में लिया गया है।
सज गए बाजार: गुरुवार से दस दिन तक चलने वाले गणेश उत्सव के लिए राजधानी में बाजार सज गए है। गणपति की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए लोग मूर्तियों के साथ ही अन्य पूजा पाठ का समान खरीद रहे है। पटेल नगर स्थित गणेश उत्सव सेवा समिति संरक्षक तजेंद्र हरजाई ने बताया कि गणेश उत्सव के लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी है।
मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त:आचार्य संतोष खंडूरी ने बताया कि कल गणेश चतुर्थी के दिन मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 34 मिनट से 2 बजकर 51 मिनट तक कर सकते है। हालांकि गणेश भगवान का जन्म दोपहर के समय हुआ था इसलिए दोपहर में मूर्ति स्थापना करनी चाहिए। गणेश उत्सव को लेकर लोगों में भारी उत्साह है।
राजधानी में 16 साल से मनाया जा रहा है गणेशोत्सव
राजधानी में गणेश उत्सव 16 साल पहले 2002 में मन्नुगंज स्थित श्री गणेश सेवा समिति की ओर से मनाया गया था। इसके बाद से ही दून में हर साल गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जाती है। डांडीपुर मन्नुगंज स्थित श्री गणेश उत्सव सेवा समिति संरक्षक मुकेश प्रजापति ने बताया की वह अक्सर टीवी में गणेश उत्सव की खबर देखा करते थे। जिसके बाद उनके दिमाग में विचार आया कि दून में भी गणेश चतुर्थी मनाई जा सकती है। इसके लिए उन्हेांने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर गणेश भगवान की मूर्ति लाकर घर में स्थापित कर पूजा अर्चना की। गणेश विसर्जन के दिन गणेश भगवान की प्रतिमा को टपकेश्वर महादेव स्थित नदी में प्रवाहित किया। उन्होंने बताया कि शुरुआत के दो साल तक उन्होंने बिना प्रचार प्रसार के ही दोस्तों के साथ गणेश उत्सव मनाया, लेकिन 2004 में गणेश उत्सव सेवा समिति बनाकर बड़े स्तर पर गणेश उत्सव मनाया जाने लगा। इसके बाद से ही दून में अन्य जगहों पर गणेश उत्सव धूमधाम से मनाने का सिलसिला शुरू हुआ।