विशेष महिला सुरक्षा कार्यक्रम के तहत जल्द ही दिल्ली समेत आठ प्रमुख शहरों में सार्वजनिक स्थलों पर पैनिक बटन और महिला गश्त दल शुरू किए जाएंगे। इस दल की सभी सदस्य महिलाएं होंगी और गृह मंत्रालय ने इसके लिए 3000 करोड़ रुपये मंजूर भी किए हैं।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 2919.55 करोड़ रुपये की लागत के सुरक्षित शहर प्रस्तावों को हाल ही में ‘निर्भया कोष’ के तहत मंजूरी दी गई। देश में महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से की जाने वाली पहलों के क्रियान्वयन के उद्देश्य से 2013 में ‘निर्भया कोष’ बनाया गया था।
2021-19 से 2020-21 तक लागू किया जाएगा
महिला सुरक्षित शहर परियोजना के तहत महिलाओं और बच्चों के लिए पारगमन शयनकक्ष, स्मार्ट एलईडी स्ट्रीटलाइट, एकल बिंदु संकट समाधान केंद्र के साथ ही फोरेंसिक और साइबर अपराध प्रकोष्ठ स्थापित किए जाएंगे। अधिकारी ने कहा कि इसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद और लखनऊ में 2021-19 से 2020-21 तक लागू किया जाएगा।
निर्भया कोष के तहत अलग-अलग राज्यों को रकम
दिल्ली में 2012 में एक छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद पूरे देश में उपजे आक्रोश के बाद इस ‘निर्भया कोष’की स्थापना की गई थी। अधिकारी ने कहा कि इस प्रस्ताव के तहत दिल्ली के लिए 663.67 करोड़ रुपये की रकम निर्धारित की गई है जबकि मुंबई के लिए 252 करोड़, चेन्नई के लिए 425.06 करोड़, अहमदाबाद के लिए 253 करोड़, कोलकाता के लिए 181.32 करोड़, बेंगलुरु के लिए 667 करोड़, हैदराबाद के लिए 282.50 करोड़ और लखनऊ के लिए 195 करोड़ रुपये की रकम निर्धारित की गई है।
दिल्ली को अतिरिक्त राशि आवंटित
परियोजना की लागत केंद्र सरकार (निर्भया निधि से) और संबंधित राज्यों के बीच 60:40 के अनुपात में साझा की जाएगी। दिल्ली के मामले में गृह मंत्रालय 240.11 करोड़ रुपये अतिरिक्त राशि आवंटित करेगा।
महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाएं बढ़ीं
महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाएं जहां 2015 में 3,29,243 थीं वह बढ़कर वर्ष 2016 में 3,38,954 हो गईं। वर्ष 2015 में देश में दुष्कर्म के 34,651 मामले दर्ज किए गए थे। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2016 में यह आंकड़ा 38,947 हो गया। वर्ष 2017 के लिए डाटा अभी तक प्रकाशित नहीं किया गया है।