पेट्रोल-डीजल में लगी आग को काबू करने में जुटी केंद्र सरकार

पेट्रोल-डीजल में लगी आग को काबू करने में जुटी केंद्र सरकार

केंद्र सरकार कच्चे तेल में उछाल से पेट्रोल और डीजल में लगी आग को काबू करने के लिए त्रिस्तरीय रणनीति को अमल में लाने में जुट गई है। इसी कड़ी में ईरान और भारत ने तेल आपूर्ति के वैकल्पिक रास्तों की तलाश तेज कर दी है, ताकि चार नवंबर से लागू होने वाले अमेरिकी प्रतिबंधों से बचा जा सके।

त्रिस्तरीय रणनीति के दूसरे कदम के तहत केंद्र ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाने की कवायद तेज करने का संकेत दिया है। जबकि दीर्घकालिक रणनीति के तहत इलेक्ट्रिक-हाइब्रिड वाहनों को बढ़ावा देने की नीति लाने का ऐलान कियागया है। रणनीति का पहला संकेत ग्लोबल मोबिलिटी समिट से इतर ईरान के सड़क एवं शहरी विकास मंत्री अब्बास अखौंदी के बयान से मिला। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों की समयसीमा को देखते हुए दोनों देश तेल आपूर्ति जारी रखने के विकल्पों पर काम कर रहे हैं। अमेरिका को बाहरी बताते हुए अखौंदी ने कहा कि भारत और ईरान को क्षेत्र में अपनी साझेदारी और मजबूत बनाने की जरूरत है। ईरान तेल आपूर्ति के बदले रुपये में कारोबार करने के साथ अपने जहाजों से तेल आयात की इजाजत देने पर राजी हो सकता है।

दरअसल, अमेरिकी प्रतिबंध लागू होने के बाद डॉलर में काम करने वाले विदेशी बैंक या जहाजों की सुरक्षा गारंटी लेने वाली बीमा कंपनियों के लिए ऐसा करना बेहद मुश्किल होगा। यह कवायद ऐसे वक्त हो रही है, जब टूप्लसटू वार्ता के दौरान भारत ने ईरान पर प्रतिबंधों और रूस से हथियार खरीद के मामले में भारत को किसी तरह की छूट देने के कोई संकेत नहीं दिए हैं।

90-100 डॉलर प्रति बैरल जा सकता है कच्चा तेल
तेल कारोबार से जुड़े विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी प्रतिबंधों की समयसीमा देखते हुए तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो कच्चा तेल 90 से 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है। एशियाई देशों पर इसकी बड़ी मार पड़ेगी।

ईरान से तेल आपूर्ति क्यों अहम
ईरान भारत को रियायती दाम पर देता है कच्चा तेल
सऊदी, यूएई जैसे देश भारत से वसूलते हैं प्रीमियम
ईरान तेल के बदले भुगतान के लिए देता है ज्यादा समय
ईरान से जहाजों के जरिये तेल की आवाजाही की लागत कम

कीमतों में बनावटी उतार-चढ़ाव
10 लाख बैरल रोजाना आपूर्ति बढ़ाने का वादा नहीं निभाया ओपेक ने
52 डॉलर प्रति बैरल होना चाहिए दाम मौजूदा आपूर्ति के हिसाब से
ओपेक देशों की कटौती और अमेरिकी प्रतिबंधों की आहट से बढ़े दाम

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll Up