दिल्ली समेत देश के चार महानगरों में टीबी जांच की नई तकनीकी ‘एक्सपर्ट’के जरिए दो साल की उम्र तक के बच्चों में भी टीबी का सफलतापूर्वक पता लगाया जा सका है। विशेषज्ञ इसे टीबी के उन्मूलन के लिए एक बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं। मालूम हो, अब तक बच्चों में टीबी की शर्तिया जांच करने वाली कोई भी तकनीकी मौजूद नहीं थी। बलगम की कम मात्रा एवं अन्य बायोलॉजिक सैंपल का परीक्षण कर भी टीबी की मौजूदगी का सही पता लगाया सकता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय टीबी डिवीजन और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर गैर सरकारी संस्था फाइंड ने दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद और चेन्नई में 7,994 टीबी की आशंका वाले बच्चों की एक्सपर्ट एमटीबी/ आरआईएफ तकनीकी के जरिए की जांच की। जिसमें 465 बच्चों में टीबी की पुष्टि हुई।
वालेंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया के वरिष्ठ निदेशक डॉ. पीसी भटनागर ने कहा कि फिलहाल ऐसी कोई जांच विधि नहीं है, जिससे कुछ ही समय में पता लगाया जा सके कि बच्चे को टीबी है या नहीं? अभी कल्चर टेस्ट के जरिए ही छोटे बच्चों में टीबी का पता लगाया जा सकता है, जिसके नतीजे आने में दो से छह महीने का समय लग सकता है। वहीं, इस नई विधि में दो घंटे के भीतर पता चल जाएगा कि टीबी है या नहीं। टीबी के लक्षण पता लगाना बच्चों में मुश्किल होता है, क्योंकि बच्चों को सामान्यत: सर्दी-खांसी होती रहती है। टीबी की मुख्य जांच विधि बलगम का माइक्रोबायोलाजिक टेस्ट है। छोटे बच्चे उस मात्रा में बलगम उगल नहीं पाते कि टेस्ट किया जा सके।