भारत ईरान में चाबहार बंदरगाह परियोजना को अमेरिकी प्रतिबंध के दायरे से बाहर रखने की पुरजोर वकालत करेगा। अमेरिका के साथ 6 सितंबर को रणनीतिक रूप से अहम टू प्लस टू वार्ता में भारत इस मामले में अपना पक्ष जोरदार तरीके से रखेगा।
भारत का मानना है कि अमेरिका ने दुनिया में उसकी भूमिका का व्यापक रूप से समर्थन किया है। दोनों देश एक दूसरे की चिंताओं का ख्याल रखते हुए अपनी रणनीतिक भागीदारी को मजबूत बना रहे हैं। सैन्य और व्यापारिक, रणनीतिक साझेदारी नया मुकाम हासिल कर रही है। विशेष संबंधों को ख्याल में रखते हुए भारत को उम्मीद है कि ईरान पर प्रतिबंध के मामले में कुछ मामलों में रियायतें दी जा सकती हैं। भारत चाबहार के अलावा ईरान से तेल आयात और रूस से हथियारों की खरीद के मुद्दे पर भी छूट की पैरवी कर रहा है।
रूस से रणनीतिक साझेदारी की चिंता
हथियारों की खरीद में छूट के मामले में सूत्रों का कहना है कि भारत ने अमेरिकी हथियारों की खरीद बढ़ाई है। लेकिन अन्य परंपरागत देशों से खरीद मामले में अमेरिका हमारी रणनीतिक साझेदारी का ख्याल में रखेगा।
पाकिस्तान प्रायोजित आतंक पर होगी बात
सूत्रों ने कहा, भारतीय उपमहाद्वीप में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को लेकर दोनों देशों के बीच चर्चा होगी। भारत इस मामले में अमेरिका के विचार जानने को इचछुक है।
ईरान से संबंधों का ख्याल
सूत्रों का कहना है कि भारत का ईरान के साथ पुराना और व्यापक संबंध है। भारत तेल के आयात और अन्य मुद्दों पर अमेरिका को अपर्नी ंचताओं से अवगत करा रहा है। भारत अमेरिका को यह समझा रहा है कि वह ऊर्जा मामले में निर्भर हैं।
कूटनीतिक दबाव बनाएगा
सूत्रों ने कहा, चाबहार परियोजना के मामले में भारत का मानना है कि यह केवल भारत के पैसे से एक बंदरगाह के निर्माण का मामला नहीं है। इसके मानवीय पहलू भी हैं। यह अफगानिस्तान के विकास से जुड़ा मामला भी है। सूत्रों का कहना है कि भारत के अलावा अफगानिस्तान भी चाबहार मामले में अमेरिका से संपर्क करेगा। अफगानिस्तान से भारत का इस मामले में संपर्क हुआ है। भारत कुछ चीजें पहली बार अमेरिका से आयात कर रहा है, इस तथ्य पर ध्यान रहेगा।