दुनिया के विभिन्न देशों ने समय-समय अंतरिक्ष में कई उपग्रह भेजे हैं। इनमें कुछ ऐसे है जिनका कार्यकाल पूरा हो चुका है, या कुछ खराब हो गए हैं। अंतरिक्ष विज्ञानियों के लिए बेकार हो चुके यह उपग्रह अब कचरे के बराबर हैं, मगर उनकी परेशानी यह है कि इन्हें अंतरिक्ष से वापस लाना संभव नहीं है। एक अन्य समस्या यह है कि अंतरिक्ष का यह कचरा भविष्य में छोड़े जाने वाले दूसरे उपग्रहों के लिए खतरा बन सकता है।
ब्रिटिश इंजीनियरों ने एक ऐसी हार्पून मिसाइल बनाई है, जो अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहे बेकार हो चुके उपग्रहों को समेट कर नीचे धरती पर ले आएगी। तीन फीट लंबी इस मिसाइल को किसी शिकार करने में सक्षम अंतरिक्ष यान से छोड़ा जा सकेगा, जिससे यह कचरे को समेटकर वापस ले आएगी। इस मिसाइल का निर्माण उड्डयन क्षेत्र की प्रमुख निर्माता कंपनी एयरबस ने किया है। कंपनी ने कहा कि स्टीवेनेग स्थित स्पेस रिसर्च सेंटर में इस मिसाइल का परीक्षण किया जा रहा है।
अंतरिक्ष विज्ञानियों का अनुमान है कि अंतरिक्ष में तकरीबन 20 हजार टुकड़ों में कचरा धरती के ऊपर मंडरा रहा है। इसका आकार एक क्रिकेट बॉल के बराबर होगा। विशेषज्ञों को डर है कि यह कचरा न केवल मौजूदा उपग्रहों को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए गंभीर परेशानी खड़ी कर सकता है। विशेषज्ञों ने कहा कि हार्पून को केवल उसी कचरे के लिए तैनात किया जाएगा, जो मौजूदा उपग्रहों, आईएसएस या धरती के लिए परेशानी का सबब हो सकता है।
वैसे हार्पून मिसाइल का पहले लक्ष्य 2012 में छोड़े गए आठ टन वजनी मौसम के उपग्रह एनवीसैट को नष्ट करना है। एयरबस के इंजीनियर एलेस्टेयर वेमैन ने कहा कि परीक्षण के दौरान हार्पून ने उपग्रहों में इस्तेमाल किए जाने वाले एल्यूमिनियम पैनल को आसानी ने तोड़ दिया।