बुजुर्गों को अक्सर रास्ते समझने में दिक्कत होती है, कई बार तो वे खो जाते हैं। इसे उनकी उम्र का असर समझा जाता रहा है। मगर अब विशेषज्ञों ने इसके लिए जिम्मेदार कारण का पता लगाने का दावा किया है। एक अध्ययन में कहा गया है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ हमारे मस्तिष्क के रास्ते समझने वाले हिस्से की कोशिकाएं मृत हो जाती हैं, जिसके कारण बुजुर्गों को रास्ते याद नहीं रह जाते हैं।
यह शोध जर्मन सेंटर फॉर न्यूरोडीजेनेरेटिव डिजीज के शोधकर्ताओं ने किया है। करंट बायोलॉजी पत्रिका में यह अध्ययन इसी गुरुवार को प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं का कहना है कि मस्तिष्क के स्थानिक तंत्र में कोशिकाओं के मृत हो जाने के कारण उम्रदराज लोगों को रास्ते समझने में दिक्कत होती है। इस अध्ययन के दौरान युवाओं और बुजुर्गों के एक समूह को रास्तों से संबंधी कुछ काम दिया गया। इस दौरान विशेषज्ञों ने देखा कि मस्तिष्क के रास्ता समझने वाले भाग के केंद्र में मौजूद हिस्सा उम्र बढ़ने के साथ काफी अस्थिर हो गया था। अलजाइमर जैसी बीमारी के शिकार लोगों की स्थित इस मामले में और भी खराब थी।
इस अध्ययन के नतीजों से रास्ते समझने की क्षमता में गिरावट को धीमा करने की कोशिश की जाएगी, साथ ही इसकी मदद से संज्ञान से संबंधित बीमारियों के लक्षण और उपचार में भी राहत मिल सकेगी। इससे उम्र दराज लोग आजादी का अनुभव करेंगे और उन्हें कहीं आने-जाने में हिचकिचाहट नहीं होगी। प्रमुख शोधकर्ता मैथियास स्टेंगल ने कहा कि रास्ते याद रखने का हुनर उम्र बढ़ने के साथ घटने लगता है। इसके कारण बुजुर्गों को काफी दिक्कत होती है।