भाजपा अपने शीर्ष नेता अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन को इस साल खास यादगार के रूप में मनाएगी। सुशासन दिवस के रूप में इस दिन तमाम आयोजन तो होंगे ही, साथ ही कई कल्याणकारी घोषणाएं भी हो सकती है। अभी से लेकर 25 दिसंबर तक (जन्मदिन) तक पार्टी के लगातार कार्यक्रम चलते रहेंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक भाजपा अभी अपने शीर्ष नेता को श्रद्धांजलि दे रही है। लेकिन पार्टी के हर नेता व कार्यकर्ता से जुड़ाव व जनता में वाजपेयी की छवि राजनीतिक माहौल को प्रभावित करेगी। चार राज्यों में विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू हो चुकी है। ऐसे में भाजपा का हर नेता अपने प्रिय नेता को चुनाव में भी पूरी शिद्दत से याद करेगा ही। वाजपेयी के जन्म दिन 25 दिसंबर को लेकर भी पार्टी व सरकार बड़ी तैयारी कर रही है। इस दिन को भाजपा सुशासन दिवस के रूप में मनाती है। केंद्र के साथ देश के 19 राज्यों में भाजपा या उसके सहयोगी दलों की सत्ता है। ऐसे में इसका महत्व और बढ़ जाता है।
जनसंघ से लेकर भाजपा के स्टार प्रचारक रहे हैं वाजपेयी
भाजपा के एक प्रमुख नेता ने कहा है कि चुनाव प्रचार सामग्री में उसके शीर्ष नेता हमेशा शामिल रहे है। जनसंघ से लेकर भाजपा तक वाजपेयी भाजपा के स्टार प्रचारक रहे हैं। पिछले दो चुनाव से वे सक्रिय नहीं थे, लेकिन लोग भाजपा व अटलजी को एक ही मानते थे। इसलिए उनके प्रचार में न होने से भी उनका लाभ भाजपा को मिलता था। चूंकि इस बार कार्यकर्ताओं में भावनाओं का ज्वार ज्यादा होगा, तो स्वत: ही वे अपने अपने स्तर पर अपने प्रिय नेता को याद करेंगे।
पुराने मध्यप्रदेश व राजस्थान में पड़ सकता है असर
राजनीतिक पंडितों की मानें तो मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान के विधानसभा चुनाव में भाजपा को इसका लाभ मिल सकता है। पुराना मध्य प्रदेश (छत्तीसगढ़ सहित) वाजयेपी का गृह राज्य है, जहां की जनता उनसे सीधा जुड़ाव महसूस करती है। राजस्थान में भी वाजपेयी बेहद लोकप्रिय रहे हैं और जनसंघ से लेकर भाजपा तक वहां से शीर्ष नेता भैरोंसिंह शेखावत व वाजपेयी की मित्रता चर्चित रही है।