केंद्रीय मंत्री अलफोंस ने गुरुवार को कहा कि वह केरल अपदा में विदेशी मदद लेने के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि 2004 में सुनामी के बाद बनाई गई नीति में छूट दी जानी चाहिए।
अलफोंस ने दिल्ली में कहा कि पिछले 50 सालों के दौरान केरल ने विदेशी विनिमय के तौर पर भारी मात्रा में योगदान किया है। वास्तव में पिछले साल ही उससे 75,000 करोड़ रुपये आए हैं।
अल्फोंस ने कहा, ‘इन कारणों से एक कनिष्ठ मंत्री के तौर पर मैं अपने वरिष्ठ मंत्री से अनुरोध करता हूं कि वे राज्य के लिए खासतौर पर विचार करें।
मैं उनसे इस नीति में एक बार अपवाद का अनुरोध करता हूं।’ अलफोंस ने इससे पहले दिन में केंद्र के फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि सुनामी के बाद दिसंबर 2004 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने एक नीतिगत फैसला किया था जिसमें प्राकृतिक आपदा के दौरान सरकार विदेश से आने वाली सहायता को स्वीकार नहीं करेगी।
उल्लेखनीय है कि बाढ़ प्रभावित केरल में विदेशी सहायता को स्वीकार करने के लिए बढ़ते विवाद के बीच राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने 2016 में सुझाव दिया था कि विदेशों से की गई सहायता की पेशकश को भारत द्वारा सद्भावना भरे कदम के तौर पर स्वीकार किया जा सकता है।
यह प्रदेश के मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन के उस रुख को और मजबूत करता है कि विदेशी सहायता पर किसी तरह का पूर्ण प्रतिबंध नहीं है।