दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने राजधानी में आयोजित होने वाली शादी-पार्टियों में घुसकर चोरी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश कर तीन बदमाशों को गिरफ्तार किया है। बदमाश फाइव स्टार होटलों और फार्म हाउस में आयोजित होने वाली पाटियों में भी सेंधमारी व चोरी की वारदातों देते थे। पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह मध्य प्रदेश बेस ‘दादा गैंग’ का गिरोह कहा जाता है। गिरोह के सदस्य प्रोफेशनल तरीके से वारदातों को अंजाम देते थे। किसी को शक न हो, इसके लिए वे नाबालिगों का इस्तेमाल करते थे।
संयुक्त आयुक्त आलोक कुमार के अनुसार, बीते कुछ दिनों से पांच सितारा होटलों, बैंक्विट हॉल और अन्य शादी समारोह स्थल से बैग चोरी करने की वारदातें हो रही थी। यह भी पता चला कि इन वारदातों के लिए छोटे बच्चों का इस्तेमाल किया जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए एक टीम को लगाया गया। पुलिस ने उन जगहों से सीसीटीवी कैमरों की फुटेज जुटाई, जहां वारदातें हुई थी। यह देखा गया कि वहां पर आरोपी सीसीटीवी से बच रहे हैं।
यह भी देखा गया कि समारोह में काफी समय बीतने के बाद आरोपियों ने वारदात को अंजाम दिया। उन्होंने उपयुक्त समय का इंतजार किया और मौका मिलते ही बैग ले उड़े। बहरहाल सीसीटीवी में पहचान होने के बाद से ही पुलिस की टीम इन बदमाशों की तलाश मे थी। इस बीच पुलिस को सूचना मिली कक बदमाश पहाड़गंज इलाके में आने वाले हैं। सूचना मिलते ही फिर पुलिस ने तीनों आरोपियों रीमा बाई, राजकुमार उर्फ़ दादा और भूपेंद्र शर्मा को गिरफ्तार कर लिया।
60 से 80 हजार की मंथली पगार
इसकी एवज में गैंग के सदस्य नाबालिगों के अभिभावकों को 60 से 80 हजार रुपए मंथली की सैलरी देते थे।इस गैंग के सदस्य पांच सितारा होटलों में जाकर वहां से लोगों के बैग चोरी कर लेते थे। इस काम के लिए उन्होंने कुछ बच्चों को भी रखा हुआ था। उन्हें बकायदा चोरी के लिए आरोपियों ने ट्रेनिंग दी थी। बच्चे को शादी समारोह में साथ लेकर जाने वाली महिला को लगभग 80 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता था। राजा दादा नाम का यह गैंग बीते कुछ दिनों में 15 से ज्यादा वारदात कर चुका था।
आरोपी राजकुमार है गिरोह का सरगना
इनमें से राजकुमार गिरोह का सरगना है जबकि भूपेंद्र कैब चालक है। आरोपियों के पास से पुलिस को एक बैग मिला जो उन्होंने बीते नवम्बर माह में चाणक्य पूरी स्थित एक पांच सितारा होटल से चोरी किया था। गिरफ्तार रीमा का काम बच्चे को होटल में अपने साथ लेकर जाना होता था। इसके अलावा बच्चे के खाने-पीने और देखभाल की जिम्मेदारी भी उसकी होती थी।
ऐसे देते थे वारदातों को अंजाम
वारदात को अंजाम देने के लिए तीन से चार सदस्य शादी समारोह में सज धज कर पहुंचते थे। इनके साथ बच्चा भी होता है जिसे बैग चुराने की ट्रेनिंग मिली होती थी। शादी समारोह में पहुंचने के बाद वह पार्टी में आये लोगों से घुलते मिलते हैं और मौके की तलाश में रहते हैं। उनके निशाने पर परिवार के सदस्य होते हैं जिनके हाथ में रुपयों से भरे बैग एवं गहने होते हैं। समारोह स्थल के बाहर कैब चालक के साथ गिरोह का सरगना उनका इंतजार करता है। वारदात होते ही वह कैब में बैठकर फरार हो जाते हैं। मध्य प्रदेश से आया गैंग एक से दो माह तक दिल्ली में रहकर वारदात करता है। इसके बाद वह अपने गांव लौट जाते हैं।
बच्चों ऐसे देते थे प्रशिक्षण
1 सबसे पहले वह बच्चों के माता-पिता के साथ कॉन्ट्रैक्ट कर उनके बच्चे को किराये पर लेते हैं।
2 बच्चे को पॉश इलाके में रखा जाता है ताकि वहां रहने वाले बच्चों के व्यवहार को वह सीखे।
3 उसे अमीर घर के बच्चों की तरह खाना-पीना और अच्छे कपड़े पहनना सिखाया जाता है।
4 ट्रेनिंग के बाद बच्चे को महिला के साथ पांच सितारा होटल में शादी समारोह में भेजा जाता है।
5 पकड़े जाने पर बच्चे के खिलाफ क़ानूनी करवाई नहीं होती थी, इसके करते थे इनका इस्तेमाल