बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को तात्कालिक राहत मिल गई है। लालू प्रसाद के दुमका कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में सीबीआई के विशेष कोर्ट में गुरुवार को आने वाला फैसला टल गया है।
विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में लालू प्रसाद की ओर से तत्कालीन महालेखाकार पीके मुखोपध्याय, डिप्टी एजी बीएन झा और सीनियर एकाउंटेंट प्रमोद कुमार को आरोपी बनाने की जो अर्जी दाखिल की गई है, इस पर सुनवाई हुई। अदालत इस पर शुक्रवार को भी सुनवाई करेगी और आदेश जारी करेगी। लालू ने सीआरपीसी की धारा 319 के तहत तीनों को आरोपी बनाने का आग्रह किया है।
अदालत ने मामले में आदेश के लिए 16 मार्च की तिथि निर्धारित की है। इसी क्रम में कोर्ट शुक्रवार को ही दुमका ट्रेजरी से अवैध निकासी से जुड़े मामले में फैसले की तिथि तय करेगी। सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने कहा कि सीबीआई ने एजी को आरोपी नहीं बनाया। जबकि संबंधित बिल इनके पास थे, लेकिन इन्होंने संदेह भी नहीं किया। इस केस के आईओ एके झा ने भी सही से जांच नहीं की।
सीबीआई के वकील ने कहा कि इस केस के आईओ एके झा नहीं, बीएन विश्वास थे। इस पर कोर्ट ने लालू के वकील से पूछा कि जिन्हें आरोपी बनाने का आवेदन दिया गया है वे तीनों सर्विस में हैं या नहीं। उधर, सीबीआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मई 2017 में चारा घोटाला मामले को नौ माह में (छह फरवरी तक) समाप्त करने का आदेश दिया था। निर्धारित समय बीत चुका है। लालू प्रसाद का रेकॉर्ड अलग कर दिया जाए, बाकी पर फैसला सुनाया जाए।