रेटिंग एजेंसी फिच ने गुरुवार को भारत की आर्थिक वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष (2021-19) में 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। इसमें कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्र में मांग बढ़ने से देश की आर्थिक रफ्तार को सबसे अधिक बल मिलेगा। इसमें वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दरद बढ़कर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।
कम आय वालों को होगा ज्यादा फायदा
एजेंसी ने अपनी वैश्विक आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में कहा कि अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष 2021-19 के बजट के लिए राजकोषीय समेकन की रफ्तार धीमी रहने की उम्मीद है, इसलिए निकट अवधि में वृद्धि को इसका समर्थन मिलना चाहिए। फिच ने कहा कि इसमें कई कदम उठा गए हैं जो कि कम आय अर्जित करने वालों (जैसे- न्यूनतम समर्थन मूल्य और मुफ्त स्वास्थ्य बीमा) को लाभ पहुंचाएंगे और इसका असर ग्रामीण क्षेत्र की मांगों पर पड़ेगा और मांग का समर्थन करेंगे। इसके साथ ही सरकार की बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने की योजना है। इसमें कहा गया है कि सड़क निर्माण योजना और बैंकों के पुनर्पूंजीकरण का भी मध्यम अवधि में तेजी का समर्थन करने की उम्मीद है।
जीएसटी का ऊहापोह खत्म
फिच के मुताबिक नीति-संबंधी कारक का प्रभाव वृद्धि पर पड़ा था लेकिन अब यह प्रभाव कम हो गया है जिसके चलते वृद्धि की संभावना है। इसमें कहा गया है कि धन आपूर्ति के मामले में सुधार देखा गया है और यह निरंतर बढ़ रहा है। जुलाई 2017 से लागू माल एवं सेवा कर(जीएसटी) से जुड़े अवरोध भी धीरे-धीरे समाप्त हो गए हैं।
कृषि-विनिर्माण में सुधार के संकेत
फिच की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखाई दे रहे हैं। कृषि, निर्माण और विनिर्माण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन की बदौलत अक्तूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान देश की आर्थिक वृद्धि दर बढ़कर 7.2 प्रतिशत हो गई जो कि पिछली पांच तिमाहियों में सर्वाधिक रही।
महंगाई नरम रहने का अनुमान
एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार 6.5 प्रतिशत रहेगी। फिच का यह अनुमान केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आधिकारिक अनुमान 6.6 प्रतिशत से थोड़ा कम है। वित्त वर्ष 2016-17 में वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत थी। इसके साथ ही फिच ने 2021 और 2019 में मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से कुछ कम रहने की उम्मीद जताई है, जो रिजर्व बैंक के लक्ष्य के दायरे में है।