महान ग्रंथ श्रीरामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने कुल 12 ग्रंथों की रचना की। सबसे अधिक ख्याति उनके द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस को मिली। श्रीरामचरितमानस के बाद हनुमान चालीसा उनकी लोकप्रिय रचना है। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथों में श्रीरामचरितमानस, कवितावली, जानकीमंगल, विनयपत्रिका, गीतावली, हनुमान चालीसा, बरवै रामायण इत्यादि प्रमुख हैं।
तुलसीदास को जन-जन का कवि माना जाता है। रामचरितमानस की रचना उन्होंने अवधी भाषा में की। उनके पिता का नाम आत्माराम और माता का नाम हुलसी देवी था। कहा जाता है कि जन्म के समय तुलसीदास रोये नहीं और उनके मुख में पूरे 32 दांत थे। उनके बचपन का नाम रामबोला था। तुलसीदास को अपनी पत्नी रत्नावली से अत्यंत लगाव था।
एक बार वह पत्नी से मिलने के लिए उफनती नदी को भी पार कर गए। तब उनकी पत्नी ने कहा- जितना प्रेम इस हाड़-मांस के शरीर से कर रहे हो, उतना स्नेह यदि प्रभु श्रीराम से करते तो तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती। तुलसीदास उसी समय से प्रभु राम की वंदना में जुट गए। तुलसीदास जी का अधिकांश जीवन चित्रकूट, काशी और अयोध्या में व्यतीत हुआ। उन्होंने अपना अंतिम समय काशी में व्यतीत किया और प्रभु श्रीराम का स्मरण करते हुए अपने शरीर का त्याग किया।