अटल बिहारी वाजपेयी का चंपारण से बड़ा लगाव था। वे विभिन्न मौकों पर पांच से अधिक बार चंपारण आये। यह सिलसिला तब से चलता रहा, जब संयुक्त चंपारण था। उनकी राजनीतिक सूझबूझ व उनके मिलनसार स्वभाव के यहां के लोग उनके मुरीद हैं। यहां के नेता-व कार्यकर्ताओं को वो दिन भुलाये नहीं भूलता, जब जेपी आंदोलन के दौरान जेल में बंद जनसंघ के जिलाध्यक्ष से डीएम ने उन्हें मिलने नहीं दिया।
इसके विरोध में वे बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ डीएम आवास पर धरना पर बैठ गये और दूसरे दिन उनको गिरफ्तार कर लिया गया। उस समय उनके साथ केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह (तब के पार्टी के संगठन मंत्री) भी थे।
इमरजेंसी से ठीक पहले सन् 1975 में अटल विहारी वाजपेयी की मुजफ्फरपुर, बेतिया और मोतिहारी में सभा थी। पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मुजफ्फरपुर जाकर तत्कालीन कलक्टर बीके सिंह के निरंकुश रेवैये का जिक्र किया। साथ ही यह भी कहा कि जेपी आंदोलन में जिला जनसंघ के अध्यक्ष राय हरिशंकर शर्मा कुछ दिनों से जेल में बंद हैं। कलक्टर किसी कार्यकर्ता को उनसे जेल में मुलाकात नहीं करने दे रहे हैं। इस पर अटल जी ने कहा कि कल बेतिया जाने के क्रम में वे खुद जेल में चलेंगे और जिलाध्यक्ष से मुलाकात करेंगे। लेकिन, जेल अधीक्षक ने कलक्टर का हवाला देकर उनसे भी मिलाने से इंकार कर दिया।
केंद्रीय कृषि मंत्री बताते हैं कि अटल जी जब बेतिया से लौटकर आये, तो टाउन हॉल परिसर में अपराह्न तीन बजे सभा की। अपने भाषण के अंतिम वाक्य में उन्होंने कहा कि वे यहां से सीधे डीएम के आवास पर चलेंगे और धरना देंगे। केंद्रीय मंत्री बताते हैं कि अटल जी आगे-आगे और पीछे से चंपारण के संगठन मंत्री महेश्वर प्रसाद, जनसंघ के महासचिव लक्ष्मण प्रसाद वे (कृषि मंत्री) व बड़ी संख्या में कार्यकर्ता थे। सभा में उपस्थित लोग भी साथ हो लिये। अभी अटल जी धरने को संबोधित कर ही रहे थे कि प्रशासन ने जिलाध्यक्ष राय हरिशंकर शर्मा को जेल से मुक्त कर दिया और वे धरनास्थल पर पहुंच गये।
दूसरे दिन कर लिया गया गिरफ्तार:
अटल जी ने अपने संबोधन में कहा कि जिलाध्यक्ष को तो प्रशासन ने छोड़ दिया, लेकिन अभी कई कार्यकर्ता जेल में बंद हैं। वे उनसे मिले बगैर चंपारण से नहीं जायेंगे। इतने में जिलाधिकारी बीके सिंह वहां मौजूद हो गये और अगले दिन साढ़े नौ बजे जेल में मुलाकात करने का समय मुकर्रर कर दिया। वे वहां से पार्टी के संगठन मंत्री महेश्वर प्रसाद भवानीपुर जिरात स्थित घर पर टिके। सुबह जेल गये। वे अंदर गये और उनके साथ कैलाश जी और यशोदानंद जी भी गये। पैंतालिस मिनट बाद जब वे जेल के गेट पर आये तो उन्हें बाहर नहीं आने दिया गया। उन्हें गिरफ्तार किये जाने की सूचना दी गई
विरोध में बंद रहा मोतिहारी:
जेल के बाहर खडे़ पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारी की सूचना तार के जरिये देश के दूसरे नेताओं को दी। उनकी गिरफ्तारी के विरोध में अगले दिन मोतिहारी बंद रखा गया। दूसरे दिन सुबह जब चाय लेकर पार्टी के लोग जेल पहुंचे, तो पता लगा कि उन्हें बीती रात ही हजारीबाग सेंट्रल जेल भेज दिया गया। पता चला कि प्रशासन ने उन्हें आनन फानन में ट्रक से ही वहां से चलता कर दिया। हालांकि, उन्हें हजारीबाग से दूसरे दिन ही जेल से मुक्त कर दिया गया। चंूकि, केंद्र सरकार ने विदेश जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में उन्हें भी शामिल कर रखा था।