विरले ही होते हैं, जो सांप से नहीं डरते। अगर आपके मन में भी सांप का डर है तो सुबह उठते ही अनंत, वासुकि, शेष, पद्म, कंबल, अश्वतर, शंखपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक, कालिया और पिंगल इन 12 देव नागों का स्मरण कीजिए। आपका भय तत्काल खत्म होगा। ‘ऊं कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा’ मंत्र का जाप लाभदायक होता है। नाम स्मरण करने से धन भी मिलता है। साल के बारह महीनों, इनमें से एक-एक नाग की पूजा करनी चाहिए। इस बार नाग पंचमी 15 अगस्त को है। अगर राहु और केतु आपकी कुंडली में अपनी नीच राशियों- वृश्चिक, वृष, धनु और मिथुन में हैं तो आपको अवश्य ही नाग पंचमी की पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है कि दत्तात्रेय जी के 24 गुरु थे, जिनमें एक नाग देवता भी थे।
श्रावण माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाने वाली नाग पंचमी शिव जी की पूजा भी है। शिव जी के गले में वासुकि नाग है। समुद्र मंथन से निकले ‘कालकूट’ विष को गले में धारण कर शिव ने सृष्टि का विनाश होने से बचाया। भगवान शिव के गले में हार के रूप में सुशोभित ‘अनंत’ नामक नाग कालकूट विष के दाह को कम करते हैं। ये मानव शरीर में मूलाधार चक्र से सहस्रार चक्र तक मेरुदंड स्वरूप हैं। 12 नागों में अनन्त नाग सूर्य के रूप हैं, वासुकि चंद्रमा के, तक्षक मंगल के, कर्कोटक बुध के, पद्म बृहस्पति के, महापद्म शुक्र के और कुलिक व शंखपाल शनि ग्रह के रूप हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यह पृथ्वी भी शेषनाग के फन पर टिकी हुई है।
ऐसी कथा मिलती है कि मणिपुर में रह रहे एक किसान परिवार में दो पुत्र व एक पुत्री थी। खेत में हल जोतते समय हल के फन से नाग के तीन बच्चे मर गए। नागिन ने गुस्से में किसान, उसकी पत्नी व दोनों लड़कों को डस लिया। अगले दिन सुबह किसान की पुत्री को डसने की इच्छा से नागिन फिर आई तो किसान की पुत्री ने उसके सामने दूध का कटोरा रख दिया। साथ ही हाथ जोड़ क्षमा मांगने लगी।
नागिन प्रसन्न हो उठी और उसके माता-पिता व दोनों भाइयों को पुन: जिंदा कर दिया। साथ ही यह भी कहा कि जो आज के दिन नागों की पूजा करेगा, उसे नाग नहीं डसेंगे। तब से आज तक नागों के गुस्से से बचने के लिए नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है। चूंकि नाग ठंडा भोजन ग्रहण करते हैं, इसलिए उन्हें कच्चा दूध दिया जाता है।