फाल्गुन मास में पड़ने वाली शिवरात्रि के महत्व के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन सावन के महीने में आने वाली शिवरात्रि का भी विशेष महत्व है। कहते हैं कि सावन के महीने में पड़ने वाली शिवरात्रि के दिन शिव की अराधना से भक्तों के सभी कष्ट तो दूर होते हैं साथ ही इस शिवरात्रि के दिन पूजा और व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो लोग मासिक शिवरात्रि का व्रत रखना चाहते हैं वो इस दिन से महा शिवरात्रि व्रत आरम्भ कर साल भर इस व्रत को रख सकते हैं।
ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इस दिन जलाभिषेक का भी विशेष महत्व है। कांवडिए भी इस दिन पैदल यात्रा कर गंगा का जल लाकर भगवान शिव को अर्पित करते हैं। इसके अलावा इस दिन बेलपत्र, बिल्व, धतूरा भी भोले शंकर को अर्पित किया जाता है।
इस दिन व्रत रखें और दिनभर फलाहार करें। सुबह और शाम शिव पुराण, शिव पंचाक्षर, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा, शिव रुद्राष्टक और शिव श्लोक का पाठ करना उत्तम रहता है। मासशिवरात्रि हर माह आती है। लेकिन यह तिथि चूंकि श्रावण मास में आ रही है इसलिए विशेष है। शिवभक्त शिव की विशेष पूजा चार पहर में कर सकते हैं।
ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)