आज है सावन की शिवरात्रि। साल में दो शिवरात्रि होती हैं पहली महाशिवरात्रि और दूसरी सावन की शिवरात्रि। कहते हैं कि भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान शिव का महीना है सावन। सावन की शिवरात्रि के दिन कांवडिए गंगाजल लाकर भागवान शिव का अभिषेक करते हैं। ज्योतिष के अनुसार इस दिन गुरुवार, त्रयोदशी और पुष्य योग लगने से गुरुपुष्य योग भी लग रहा है। इसलिए इस शिवरात्रि का महत्व और भी बढ़ गया है।
इस दिन भगवान शिव के भक्त गंगाजल, दूध, दही, घी, पंचामृत के साथ भागवान शिव का रूद्राभिषेक किया जाता है। वहीं इस दिन कांवडिए हरिद्वार से लाए गए गंगाजल से भोले बाबा का जलाभिषेक करते हैं। मासशिवरात्रि हर माह आती है। लेकिन यह तिथि चूंकि श्रावण मास में आ रही है इसलिए विशेष है। शिवभक्त शिव की विशेष पूजा चार पहर में कर सकते हैं
ज्योतिष के अनुसार हरि ज्योतिष संस्थान के ज्योतिर्विद पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि भगवान शिव का जलाभिषेक ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 3:45 से 5 बजे और पांच बजे से नौ बजे तक श्रेष्ठ समय रहेगा। इसमें भी जलाभिषेक किया जा सकेगा। अभिजीत समय सुबह 11:45 बजे से 12:20 तक रहेगा।
ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)
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