स्वतंत्रता दिवस नजदीक आते ही देश को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने वाले क्रांतिकारियों की याद ताजा होने लगी हैं। जिले के आजादी के दीवानों ने अंग्रेजों को सबसे अधिक छकाया। गंगेश्वरी क्षेत्र में मुनिदेव त्यागी के नेतृत्व में क्रांतिकारी गोरों पर हमले करके गंगा पार कर दूसरे जिलों में छिप जाते थे।
आज हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं, जबकि 1947 से पहले हम अंग्रेजों के गुलाम थे। गोरे हिंदुस्तानियों को याता देते थे। पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ ज्वाला भड़क रही थी। देशवासी किसी भी तरह गोरों को देश से भगाना चाहते थे।
स्वतंत्रा संग्राम पूरे चरम पर था। बापू, सरदार पटेल, नेहरू, अब्दुल कलाम आजाद, सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह अंग्रेजों से लड़ रहे थे। वहीं अपने जिले में जंगे आजादी की कमान गंगेश्वरी निवासी मुनिदेव त्यागी ने संभाल रखी थी। उनके नेतृत्व पृथी सिंह, कैलाश देव, गंगा राम, राजेश्वर सिंह, मुंशी सिंह, छज्जू सिंह, छिददा सिंह, मुकुट बिहारी लाल शर्मा, हरवंश सिंह, वेदराम, अब्बन सिंह, पूरन चंद्र, बाबू सिंह, नेन सिंह, रामचरन शर्मा, अजब सिंह आदि क्रांतिकारियों ने गांव-गांव जाकर आजादी की चिंगारी फैलाई। लोगों को गोरों के खिलाफ खड़ा किया। गोरों पर हमला कर क्रांतिकारी गंगा को पार कर दूसरे जिलों में छिप जाते थे।
15 अगस्त1947 में अंग्रेज देश से भागने को मजबूर हुए। देश आजाद हो गया। क्रांतिकारियों के संघर्ष के चलते ही हम स्वतंत्र भारत में जी रहे हैं। अब स्वतंत्रता दिवस नजदीक आने पर आजादी के दीवानों के याद ताजा हो गई हैं। देश को आजाद होने के बाद मुनिदेव त्यागी ने 1958 में गांव गंगेश्वरी में स्कूल की स्थापना की। यह आज ग्रामोदय इंटर कालेज के नाम से विख्यात है।