उत्तर प्रदेश में देवरिया में एक बालिका गृह में चल रहे सेक्स रैकेट के आरोप में सोमवार को 24 बच्चियों को रेस्क्यू कराया गया। अब इस मामले में नए नए खुलासे हो रहे हैं। इस बालिक गृह को चलाने वाले पति-पत्नी कैसे रातों रात अमीर हो गए जानकर लोग हैरानी में हैं।
देवरिया रेलवे स्टेशन के पास मां विंध्यवासिनी महिला और बालिका संरक्षण गृह आम लोगों के लिए जर्जर बिल्डिंग थी। लेकिन जब से पुलिस ने यहां 24 लड़कियों रेस्क्यू किया है तब से यह बिल्डिंग और बालिका गृह चलाने वाला दंपति पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गए हैं।
पड़ोसियों का कहना है कि उन्हें कभी भी गलत होने की शंका नहीं हुई क्योंकि कई बार पुलिस ही बच्चियों को इस घर में छोड़ जाती थी। इस बिल्डिंग में बने एक पीले रंग के छोटे गेट से बच्चियों का आना जाना होता था। बिल्डिंग के पड़ोस में रही सरकारी टीचर मृदुल पांडे ने बताया कि पुलिस का यहां आना जाना इतना ज्यादा था कि किसी को भी गलत होने की आशंका नहीं होती थी। दूसरे पड़ोसी कमल कांत का कहना है कि इस बिल्डिंग की लड़कियां कभी बाहर नहीं निकलती थीं और जब भी बाहर आती थीं तो किसी के साथ ही होती थीं।
पड़ोसियों ने बताया कि इस बालिका गृह को चलाने वाले पति पत्नी गिरिजा और मोहन त्रिपाठी भी रहस्यमयी तरीके से रहते थे। जब से उन्होंने एक एनजीओ रजिस्टर्ड कराया तब दिन दूनी रात चौगुनी की उनकी किस्मत चमकती जा रही थी।
गिरजा पहले सिलाई बुनाई का एक सेंटर चलाती थीं लेकिन अब उनके पास इलाके में कई प्रॉपर्टी और फ्लैट हैं। जब से उन्होंने एक एनजीओ रजिस्टर्ड कराकर शेल्टर होम चलाना शुरू किया तब से रातों रात वह अमीर हो रहे थे। पड़ोसियों का कहना है गिरिजा और उनके पति ने पिछले आठ साल में खूब संपत्ति बनाई है। उनकी अब बड़े नेताओं और वीआईपी लोगों से जान पहचान है।
वैसे तो रेलवे स्टेशन का इलाका होने से यहां हमेशा चहल पहल रहती थी लेकिन बालिका गृह का एक छोटा गेट जो दूसरी ओर खुलता था वहां अक्सर कारें पार्क रहती थीं।
रविवार की रात जब 10 की बच्ची भागकर बाहर आई और मामले में पुलिस को जानकारी हुई जब से बालिका गृह चलाने वाले गिरिजा और मोहन त्रिपाठी समेत 5 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। राज्य सरकार ने इलाके डीएम को सस्पेंड कर दिया है और दो सदस्यों वाली जांच समिति बैठा दी है।