महादेव शिव के प्रिय माह श्रावण की कृष्ण पक्ष की अमावस्या, जो इस बार 11 अगस्त को है, को ही हरियाली अमावस्या कहते हैं। शनिवार को होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर दान आदि करने से पितृगण प्रसन्न और तृप्त होते हैं। इस दिन हर मनुष्य को कम से कम एक फलदार वृक्ष जरूर लगाना चाहिए। वृक्ष लगाने के लिए यह समय अनुकूल होता है।
हमारे ऋषियों ने इसी को ध्यान में रखकर सावन की अमावस को प्रकृति को संपन्न करने के लिए चुना है। इस दिन सूर्य, चंद्रमा, वक्री बुध राहु के साथ कर्क राशि में हैं, जिस पर वक्री मंगल और केतु की दृष्टि भी पड़ रही है। .
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने इष्टदेव का ध्यान जरूर लगाना चाहिए। साथ ही पूर्ण ब्रह्मचर्य रखना चाहिए। पितरों को स्मरण करने के लिए वृक्ष लगाने की परंपरा बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। आज जब मौसम पूरे विश्व में बदल रहा है, तब यह अमावस्या सभी को गंभीरता के साथ मनानी चाहिए। तभी श्राद्ध के पुण्य का फल सही अर्थों में प्राप्त होगा। भविष्यपुराण में लिखा है कि जिसको संतान नहीं है, उसके लिए वृक्ष ही संतान हैं। जो वृक्ष लगाते हैं, उनके लौकिक-पारलौकिक कर्म वृक्ष ही करते हैं, इसलिए जिनके संतान नहीं है, उन्हें तो अवश्य वृक्ष लगाने चाहिए।.
वृक्ष में विद्यमान देवी-देवता पूजा करने वालों की इच्छा पूर्ण करते हैं। दिन-रात ऑक्सीजन देने वाले पीपल में ब्रह्मा, विष्णु व शिव का वास होता है।
गणेश और शिवजी को प्रिय शमी लगाने से सभी प्रकार के रोगों का नाश होता है। भविष्यपुराण में ही लिखा है कि हर मनुष्य को सद्गति हेतु अश्वत्थ (पीपल) वृक्ष के कम से कम तीन पौधे अवश्य लगाने चाहिए। भगवान विष्णु आंवले का वृक्ष लगाने से प्रसन्न होते हैं। लक्ष्मी कृपा भी होती है। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए कदम्ब, आंवला, शिव को प्रिय बिल्वपत्र (बेल) जरूर लगाने चाहिए। अशोक लगाने से शोक नहीं होता है। जामुन लगाने से धन मिलता है तो पाकड़ उत्तम स्त्री के साथ-साथ ज्ञान भी प्रदान करता है। बेल लंबी आयु, तेंदू कुल वृद्धि, अनार विवाह कराता है। बकुल पापनाशक है, धातकी स्वर्ग देता है। वटवृक्ष मोक्षप्रद है, आम अभीष्ट कामनाप्रद है, तो सुपारी सिद्धि प्रदान करता है। संतान पाने के लिए पीपल, नीम, गुड़हल और अश्वगंधा लगा सकते हैं। वहीं आनन्द प्राप्त करने के लिए पारिजात, मोगरा और रातरानी का वृक्ष लगाना चाहिए