अमेरिका के राष्टूपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर नए सिरे से प्रतिबंध लगा दिए हैं। ईरान से ये प्रतिबंध 2015 के परमाणु करार के बाद हटाए गए थे। हालांकि, ट्रंप ने साथ ही यह भी कहा है कि वह ईरान के साथ नए परमाणु समझौते पर विचार को तैयार हैं।
इसके तहत मंगलवार से ईरान सरकार अमेरिकी मुद्रा नहीं खरीद सकती और कालीन के आयात सहित ईरानी उद्योग पर व्यापक प्रतिबंध भी लगाए जाएंगे। गौरतलब है कि इस साल मई में ट्रंप ने ईरान के परमाणु समझौते से बाहर निकलने की घोषणा की थी। ईरान पर प्रतिबंध फिर से लागू होने के बाद भारत जैसे देशों पर खासा प्रभाव पड़ेगा। ईरान के साथ भारत के परंपरागत और ऐतिहासिक व्यापारिक रिश्ते हैं। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका द्वारा ईरान पर परमाणु से संबंधित प्रतिबंध नए सिरे से लगाए जा रहे हैं। इन प्रतिबंधों को 14 जुलाई, 2015 के संयुक्त वृहद कार्रवाई योजना (जेसीपीओए) के तहत हटाया गया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका और परमाणु संबंधित प्रतिबंध 5 नवंबर, 2021 से लागू होंगे। इनमें ईरान के ऊर्जा क्षेत्र को लक्षित कर लगाए गए प्रतिबंध शामिल हैं। इन प्रतिबंधों से पेट्रोलियम संबंधित लेनदेन रुकेगा। इसके अलावा विदेशी वित्तीय संस्थानों का ईरान के केंद्रीय बैंक के साथ लेनदेन भी रुक जाएगा।
अमेरिका प्रतिबंध लगाने की घोषणा से अलग-थलग पड़ा : ईरान
ईरान ने सोमवार को कहा कि देश में राजनीतिक उथल-पुथल के मद्देनजर इस्लामी गणराज्य पर फिर से प्रतिबंध लगाने की घोषणा करके अमेरिका अलग-थलग पड़ गया है। विदेश मंत्री मोहम्मद जावद जरीफ ने कहा कि बेशक, अमेरिकी धमकाने और राजनीतिक दबाव बनाकर कुछ व्यवधान पैदा कर सकते हैं, लेकिन तथ्य यह है कि वर्तमान दुनिया में अमेरिका अलग-थलग है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 2015 के परमाणु समझौते से मई में बाहर होने के निर्णय के बाद अमेरिका कल फिर से ईरान पर प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हैं। यूरोपीय संघ के राजनयिक प्रमुख फेडेरिया मोगेरिनी ने एक संयुक्त बयान में कहा किअमेरिका द्वारा फिर से प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार होने पर हमें गहरा अफसोस है। इस बयान पर ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के विदेश मंत्रियों के भी हस्ताक्षर थे। ईरान पर ये प्रतिबंध दो चरणों में सात अगस्त और पांच नवंबर को लगाए जाने है।