चीन स्वतंत्र तिब्बतीय क्षेत्र में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापुल्ट (प्रक्षेपक) तकनीक से लैस रॉकेट तैनात करने की योजना बना रहा है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस तकनीक के जरिए ये रॉकेट ऊंचाई वाले इलाकों में 200 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम होंगे। रिपोर्ट में सीधे तौर पर भारत और डोकलाम का जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन, ये कहा गया कि इन रॉकेट का इस्तेमाल चीन की दक्षिण-पश्चिम सीमा पर हुए सैन्य विवाद के दौरान भी किया जा सकता था।
रिपोर्ट में कहा गया- पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के अंतर्गत रिसर्चर हान जुनली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रॉकेट आर्टिलरी को विकसित करने पर काम कर रहे हैं। हान इंजीनियरिंग एकेडमी के मा वेमिंग से प्रेरित हैं, जिन्हें चीन में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापुल्ट तकनीक का जनक माना जाता है।
हान ने ग्लोबल टाइम्स से कहा, चीन के पास लंबे पहाड़ी और पठार क्षेत्र हैं, जहां इस तरह के रॉकेट पहुंचाए जा सकते हैंष इसके जरिए चीन सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पर स्थित दुश्मनों को भी आसानी से अपने इलाके से निकाल सकता है। आने वाले समय में यही तकनीक वे जंगी जहाजों में भी इस्तेमाल की जाएगी।
73 दिनों तक चले डोकलाम विवाद को भारत और चीन ने कूटनीतिक बातचीत के जरिए सुलझाया था। पीएलए ने जब डोकलाम में सड़क निर्माण शुरू किया, तब विवाद की शुरुआत हुई थी. भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने थे। चीन के मीडिया ने कहा कि डोकलाम की भौगोलिक स्थिति का फायदा भारत को मिला, क्योंकि यहां भारत ऊंचाई पर स्थित है। ऐसे में चीन को कदम वापस खींचने पड़े।