दो सिर के साथ जन्‍मे सीरियाई बच्चे

दो सिर के साथ जन्‍मे सीरियाई बच्चे

तुर्की के अंताकया में मुस्‍तफा कमाल यूनीवर्सिटी अस्‍पताल में डॉक्‍टरों ने एक 3 दिन के बच्‍चे के दिमाग का सफल ऑपरेशन करने का कारनामा अंजाम दिया है। खास बात यह है कि इस बेहद खतरनाक ऑपरेशन के बाद बच्‍चा ठीक है और अब डॉक्‍टरों ने इसे आर्टिफीशियल ब्रीथिंग सिस्‍टम से भी हटा दिया है। इस बच्‍चे का नाम अब्‍दललतीफ शेक्राक है और यह सीरियाई मूल का है। इसे एनसिफेलोसील नाम की बेहद दुर्लभ समस्‍या थी, जो 12000 में से किसी एक बच्‍चे में होती है। जब अब्‍दुललतीफ का जन्‍म हुआ तो उसका दिमाग उसकी खोपड़ी से बाहर एक झिल्‍ली में था। इससे उसके दो सिर होने का आभास हो रहा था। यह हिस्‍सा तकरीबन 1 किलोग्राम वजन का था। बच्‍चे की हालत इस कदर खराब थी कि डॉक्‍टरों को जन्‍म के 3 दिन ही उसका ऑपरेशन करने का फैसला करना पड़ा।

इस समस्‍या में गर्भ में विकास के दौरान बच्चे का दिमाग खोपड़ी में बंद नहीं हो पाता है और उसका जन्‍म झिल्‍ली में मस्‍तिष्‍क के साथ होता है। अलेप्‍पो की रहने वाली अब्‍दुललतीफ की मां सना हिलाल अपने 7वें बच्‍चे को जन्‍म देने के लिए 97 किलोमीटर की यात्रा कर तुर्की का बॉर्डर पार किया और अंताकया अस्‍पताल पहुंची थी। यहां ऑपरेशन से बच्चे के जन्‍म के बाद डॉक्‍टरों को उसकी गंभीर अवस्‍था के बारे में पता चला था।

बच्‍चे की हालत देखने के बाद डॉक्‍टरों ने उसे इस्‍केनद्रुन डेवलपमेंटल अस्‍पताल में भेजने का फैसला किया। यहां दिमाग, नसों और रीढ़ की हड्डी के विशेषज्ञों ने 3 घंटे चले ऑपरेशन के बाद खोपड़ी के बाहर निकल रहे उसे दिमाग को उसके अंदर करने में सफलता पाई। एनसिफेलोसील की समस्‍या से जीवित बचने वाले बच्‍चों का आंकड़ा 5000 में एक का है। अब्‍दुललतीफ का सफल ऑपरेशन करने वाले डॉक्‍टर मेहमत कोपरान का कहना है कि एनसिफेलोसील की इतनी गंभीर समस्‍या बच्चे के लिए जानलेवा हो सकती थी। उसे 3 दर्जे की बीमारी थी, जो बेहद गंभीर मानी जाती है और यह बहुत कम होती है।

क्‍या होती है एनसिफेलोसील बीमारी यह बेहद दुर्लभ किस्‍म की जन्‍मजात समस्‍या है, जिसमें बच्‍चे के दिमाग का एक हिस्‍सा उसकी खोपड़ी से बाहर निकला रहता है। सिर के पिछले हिस्‍से में एक झिल्‍ली में दिमाग बाहर की ओर होता है। यह समस्‍या 12000 में से किसी एक बच्‍चे में होती है। कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक यह समस्‍या गर्भ में पल रहे शिशु में विटामिन डी और फोलिक एसिड की कमी से होती है। यह जानकारी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने दी है।

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