बेटे की चाह में बेटियों की गर्भ में ही हत्या करने वालों को अब स्टिंग ऑपरेशन के जरिए पकड़ा जाएगा। आशा, एएनएम और डॉक्टरों की टीम बनाकर राज्य भर में अभियान शुरू किया जा रहा है। प्रदेश में छह साल से कम उम्र की लड़कियों की संख्या में आ रही गिरावट को देखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है। स्वास्थ्य महानिदेशालय की ओर से इस संदर्भ में सभी जिलों को दिशा-निर्देश भेजे गए हैं। राज्य में पीसीपीएनडीटी एक्ट लागू होने के बावजूद गर्भ में पल रही बेटियों की हत्या के मामले सामने आ रहे हैं। इसे देखते हुए अब लिंग जांच का स्टिंग करने का निर्णय लिया गया है। स्वास्थ्य विभाग को एनएचएम के तहत इसके लिए बजट उपलब्ध कराया गया है। विभाग की योजना है कि एएनएम, आशा, डॉक्टर और एनजीओ ऐसे लोगों के संपर्क में आएंगे जो गर्भ में पल रहे भ्रूण का लिंग जानना चाहते हैं। ऐसे लोगों को विश्वास में लेकर उन्हें अल्ट्रासाउंड सेंटर तक लाया जाएगा और फिर स्टिंग के बाद उनके और जांच करने वाले सेंटर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सूचना देने वालों को ईनाम
विभाग की योजना के अनुसार भ्रूण का लिंग परीक्षण कराने वालों की सूचना देने वालों के लिए ईनाम की व्यवस्था भी की जा रही है। सूचना सही पाए जाने पर सूचना देने वाले व्यक्ति को दस से 15 हजार रुपये दिए जाएंगे। हालांकि यह रकम जिला अधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति तय करेगी। यह सूचना 104 हेल्प लाइन के अलावा विभागीय अधिकारियों को सीधे भी दी जा सकती है।
छह साल तक की बेटियों की संख्या में गिरावट को देखते हुए भ्रूण परीक्षण कराने वालों का स्टिंग ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया है। गुजरात में यह प्रयोग सफल रहा है इसके बाद इसे राज्य में शुरू किया जा रहा है।
डॉ. सरोज नैथानी, नोडल अधिकारी, पीसीपीएनडीटी