बिहार शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2011 के फर्जीवाड़ा में एक-दो अंकों से नहीं बल्कि सौ-सौ अंक देकर फेल को पास किया गया। जिन अभ्यर्थी को 27 अंक आए थे, उन्हें 27 अंक के आगे एक डाल कर 127 बना दिया गया है। प्रदेशभर में सैकड़ों ऐसे अभ्यर्थी हैं, जिनके रिजल्ट में फेरबदल कर उन्हें पास किया गया है। इसमें उन अभ्यर्थियों की संख्या अधिक है जिन्हें 18 से 30 के बीच अंक आए थे और वो फेल हो गए थे। इन अभ्यर्थियों के अंक के आगे एक डाल कर अंक बढ़ाया गया। कई जिलों में यह बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया है।
1 लाख 27 हजार 627 अभ्यर्थी सफल हुए
कई जिलों के जिला शिक्षा कार्यालय से मिली सूचना के अनुसार फेल को पास करवाने में न तो ओवरराइटिंग करनी पड़ी और ना ही अधिक फेरबदल करनी पड़ी। बोर्ड की ऑरिजनल सीडी और जिलों को भेजी गई सीडी में अंतर है। जब रिजल्ट निकला तो टीईटी में एक लाख 27 हजार 627 अभ्यर्थी सफल हुए थे। लेकिन अभी एक लाख 62 हजार अभ्यर्थियों को टीईटी का रिजल्ट मिल चुका है।
कई बार पकड़ में आए हैं अभ्यर्थी
प्रदेशभर के कई जिलों में ऐसे फर्जी शिक्षक पकड़ में आते रहे हैं। इसके लिए जांच कमेटी भी कई बार बनी है। लेकिन कुछ दिन जांच होने के बाद फिर वो ठंडे बस्ते में चला जाता है। टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी संघ अध्यक्ष चंदन शर्मा ने बताया कि कई फेल होने के बाद शिक्षक बने हुए हैं। बिहार बोर्ड के सारे रिजल्ट को आधार नंबर से मिलान किया जाए तो कई चीजें सामने आएंगी।
अप्रैल 2015 के बाद नहीं हुआ है नियोजन
अभी सैकड़ों टीईटी पास अभ्यर्थी नियोजन के इंतजार में हैं। 2011 के बाद 2013 से नियोजन शुरू हुआ। दो या तीन बार नियोजन किया गया है। अप्रैल 2015 के बाद नियोजन नहीं हुआ है। लेकिन इसके बाद भी शिक्षकों की नियुक्ति होती रही। अब सवाल यह है कि जब नियोजन नहीं हुआ तो शिक्षकों की नियुक्ति कैसे इन जिलों में हो गई है।