बुर्जुग, विकलांग व विधवाओं की पेंशन के लिए अब आधार कार्ड जरूरी नहीं होगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में समाज कल्याण विभाग ने मंगलवार को यह मसौदा पेश किया था। इसे कैबिनेट ने स्वीकृत दे दी है। बुजुर्ग नागरिकों को बैंक में आधार लिंक होने में आ रही परेशानियों के बाद सरकार ने यह फैसला लियाहै। दिल्ली में पेंशन प्रक्रिया के लिए आधार की अनिवार्यता लागू होने के बाद समाज कल्याण विभाग की तरफ से काफी संख्या में बुर्जुगों की पेंशन रूक गई थी।
कैबिनेट ने यह भी फैसला लिया है कि अप्रैल 2021 से ही इस योजना का लाभ सभी पेंशनधारियों को मिलेगा। राजधानी में ऐसे करीब 4.18 लाख लोगों को फिलहाल यह सुविधा मिल रही है। समाज कल्याण विभाग की तरफ से ऐसे बुजुर्ग नागरिक जो 5 साल से दिल्ली में रह रहे हैं और उनकी आय एक लाख वार्षिक या इससे कम है, उनको पेंशन जारी की जाती है।
क्या परेशानी आई थी
कैबिनेट ने 2016 में आधार नंबर की अनिवार्यता को लागू किया था। इस व्यवस्था के लागू हो जाने के बाद से यह सामने आया था कि करीब 33191 बुजुर्ग व 9799 विकलांग आधार नंबर नहीं होने की वजह से पेंशन से वंचित हो गए थे।
मातृत्व योजना में भी नहीं होगा अनिवार्य
मातृत्व योजना का लाभ पाने के लिए आधार कार्ड व बैंक पासबुक अनिवार्य दस्तावेज बनाए जाने पर हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली सरकार को आड़े हाथ लिया। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी योजना के लिए सरकार के पास आधार को अनिवार्य दस्तावेज बनाए जाने का कोई कानूनी आधार नहीं है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरि. शंकर की पीठ ने सरकार को आदेश दिया कि जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) जैसी मातृत्व योजनाओं का लाभ पाने के लिए लोगों पर आधार व अन्य दस्तावेजों को जमा करने के लिए जोर नहीं डाला जाए। पीठ ने सरकार को ऐसी योजनाओं के आवश्यक दस्तावेजों के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि जननी सुरक्षा योजना में ऐसी कोई आवश्यकता (आधार) निर्धारित नहीं है। योजना का लाभ देने के लिए सरकार को आधार और बैंक पासबुक जैसे दस्तावेजों की मांग पर अड़ने का कोई कानूनी आधार नहीं है। हाईकोर्ट ने एक महिला की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर यह आदेश दिया।