टैनिंग यानी सूरज में देर तक रहने के कारण त्वचा का रंग गहरा हो जाना। यह प्राकृतिक तरीके से हो रहा है, तो कोई बात नहीं है। मगर कृत्रिम या आर्टिफीशियल या फेक टैनिंग के शौकीन लोगों के लिए यह अच्छी खबर नहीं है। एक शोध में कहा गया है कि ऐसे लोगों में त्वचा के कैंसर का खतरा होता है।
यूनीवर्सिटी ऑफ मिनसोटा मेडिकल स्कूल में हुए अध्ययन में कहा गया है कि फेक टैनिंग पाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले क्रीम, लोशन, फोम या स्प्रे से त्वचा का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। इन उत्पाद के इस्तेमाल से आपको त्वचा टैन लुक तो मिल सकता है, मगर अत्यधिक इस्तेमाल आपको स्किन कैंसर की तरफ धकेल सकती है। हालांकि शोध के नतीजों में इसके लिए आनुवांशिक कारणों को भी जिम्मेदार ठहराया गया है।
विशेषज्ञों का कहना है परिवार में किसी को स्किन कैंसर होने से अन्य सदस्यों को यह बीमारी होने का खतरा बढ़ सकता है। शोध में देखा गया कि सूरजरहित टैनिंग के शौकीन लोग इनडोर टैनिंग बेड का भी इस्तेमाल करते हैं। ऐसे लोग अक्सर घर से बाहर निकलते समय सूरज से बचने के उपाय नहीं करते हैं। यही सोच उनके लिए नुकसान का कारण बन सकती है।
यह अध्ययन जामा डर्मेटोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं। त्वचा का कैंसर दुनिया में सबसे ज्यादा होने वाली बीमारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि सूरजरहित टैनिंग के ज्यादातर उत्पाद अगर सही से इस्तेमाल किए जाएं तो उनके इस्तेमाल से कैंसर होने की आशंका नहीं होती है।