मुखौटा कंपनियों के खिलाफ केंद्र सरकार के अभियान में खुलासा हुआ है कि एक तिहाई कंपनियां सिर्फ कागजों पर चल रही हैं। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार, जून महीने तक देश में पंजीकृत 17.79 लाख कंपनियों में सिर्फ 66 फीसदी कंपनी यानी 11.89 लाख ही सक्रिय हैं। बाकी कंपनियां कामकाज नहीं कर रही हैं।
ये कागजी कंपनियां अपनी सामान्य कारोबारी गतिविधियों के साथ नियम के मुताबिक जरूरी सूचनाएं समय पर नहीं दे रही हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले वित्त वर्ष में 2.26 लाख कंपनियों का पंजीकरण सरकार ने रद्द किया था। इन कंपनियों ने लगातार दो साल या इससे अधिक समय तक वार्षिक रिटर्न और स्टेटमेंट दाखिल नहीं किए थे।
ऐसे में ये कागजी इकाइयां जांच के घेरे में हैं और नियामकीय कार्रवाई का सामना कर सकती हैं। कुल 17.79 लाख पंजीकृत कंपनियों में से जून अंत तक 5.43 लाख कंपनियां निष्क्रिय हैं। इसमें 38,858 कंपनियां के नाम आधिकारिक आंकड़े से हटाने की प्रक्रिया जारी है जबकि 6,117 परिसमापन की प्रक्रिया में हैं। जिन कंपनियों के नाम रिकार्ड से हटाये गये हैं, उसमें से 103 फिर से कामकाज शुरू करने की प्रक्रिया में हैं।
मंत्रालय के मुताबिक, कामकाज के संदर्भ में 3.7 लाख कंपनियां सेवा क्षेत्र में और 2.36 लाख इकाइयां विनिर्माण एवं अन्य क्षेत्र में काम कर रही थी। मंत्रालय के अनुसार सर्वाधिक 3,53,556 कंपनियां महाराष्ट्र में काम कर रही हैं। उसके बाद दिल्ली (3,22,044) तथा पश्चिम बंगाल (1,97,823) का स्थान है।