ट्रक आपरेटरों की आठ दिन से चली आ रही हड़ताल आज समाप्त हो गई। सरकार ने ट्रक आपरेटरों की मांगों पर विचार का आश्वासन दिया है जिसके बाद उन्होंने हड़ताल वापस लेने की घोषणा की।
आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के आह्वान पर 20 जुलाई को ट्रक आपरेटर हड़ताल पर चले गए थे। ट्रक आपरेटर डीजल कीमतों में कटौती की मांग कर रहे हैं। एआईएमटीसी का दावा है कि उसे 93 लाख ट्रक आपरेटरों का समर्थन हासिल है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय तथा एआईएमटीसी ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि हड़ताल समाप्त हो गई है।
ट्रांसपोर्टरों तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों के बीच मैराथन बैठक के बाद हड़ताल वापस लेने का फैसला किया गया।
बयान में कहा गया है कि सरकार ने ट्रांसपोर्टरों की मांगों पर विचार और साथ ही सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति गठित करने का आश्वासन दिया है , जिसके बाद हड़ताल वापस लेने का फैसला किया गया।
ट्रांसपोर्टरों की प्रमुख मांग है कि डीजल को जीएसटी के दायरे में लाकर इस पर केंद्र और राज्य सरकारों के कर कम किये जायें , जिससे इसकी कीमतों में कमी लाई जा सके।
छह लाख गिरी ई-वे बिल की संख्या
गुरुवार को देश में करीब 12 लाख ई-वे बिल जनरेट किए गए, जबकि सामान्य दिनों में यह आंकड़ा 18 लाख तक पहुंचता है। उत्तराखंड में आज गुरुवार को 26 हजार ई-वे बिल जनरेट किए गए। यह आंकड़ा भी सामान्य दिनों में करीब 32 हजार रहता है। ट्रक ऑपरेटर्स की हड़ताल के चलते कारोबारी माल की आपूर्ति नहीं कर पा रहे थे। इसका प्रभाव इंटर स्टेट व इंट्रा स्टेट दोनों स्तर पर माल की आपूर्ति पर पड़ा है। बताया जा रहा है कि ई-वे बिल में करीब 60 फीसद हिस्सा बड़े ट्रांसपोर्टस का होता है, जो बड़ी मात्रा में माल का परिवहन करते हैं।
ये थी ट्रांसपोर्टर्स की मांगें
-डीजल कीमतों को जीएसटी के दायरे में लाया जाए, क्योंकि इसके दाम रोजाना बदलने से भाड़ा तय करने में परेशानी होती है।
-टोल सिस्टम को भी बदला जाए, क्योंकि टोल प्लाजा पर र्इंधन और समय के नुकसान से सालाना 1.5 लाख करोड़ रुपये की चपत लगती है।
-थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम पर जीएसटी की छूट मिले और एजेंट्स को मिलने वाला अतिरिक्त कमीशन खत्म किया जाए।
-आयकर कानून की धारा 44-एई में प्रिजेंप्टिव इनकम के तहत लगने वाले टीडीएस को बंद किया जाए और र्इ-वे बिल में संशोधन हो।