खेलमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने 2008 के सैफ खेलों में देश के लिए दो स्वर्ण पदक जीतने वाले पूर्व तीरंदाज अशोक सोरेन को पांच लाख रूपये की आर्थिक सहायता मंजूर की है। सोरेन आजीविका के लिए दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करने को मजबूर थे। खेल मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा,’वित्तीय सहायता खिलाड़ियों के लिये पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय कल्याण कोष से दी गई है। सोरेन फिलहाल जमशेदपुर में काफी कठिन हालात में गुजर बसर कर रहे हैं। साल 2014 से वे मनरेगा मे मजदूरी करने लगे। इससे उन्हें साल में 100 दिन के काम की गारंटी मिल गयी।
आर्थिक तंगी के चलते मनरेगा के तहत करने लगे मजदूरी
अशोक सोरेन केंद्र सरकार की ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ‘मनरेगा’ के तहत मजदूर के रूप में काम कर रहे थे। मंत्रालय ने इससे पहले अर्जुन पुरस्कार प्राप्त तीरंदाज लिम्बा राम को भी बीमारी के इलाज के लिये वित्तीय सहायता दी थी। इस महीने बीमार तीरंदाज गोहेला बोरो को भी पांच लाख रूपये की सहायता दी गई। अशोक सोरेन ने साल 2008 में जमशेदपुर में हुए सैफ गेम्स में उन्होंने भारत के लिए दो स्वर्ण पदक हासिल किए। इसके बाद आर्थिक तंगी और घर चलाने की मजबूरी के चलते अशोक सोरेन को तीरंदाज़ी छोड़नी पड़ी।
मौका मिलने पर फिर से तीरंदाजी करना चाहते हैं सोरेन
अशोक सोरेन ने साल 2006 में राज्य स्तरीय जूनियर तीरंदाज़ी चैंपियनशिप में पहली बार रजत रदक जीता था। साल 2007 में सीनियर लेवल की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में उन्हें एक स्वर्ण और दो रजत पदक मिले। अशोक सोरेन ने बचपन से ही तीरंदाज़ी शुरू कर दी थी। बाद में उन्होंने जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कॉप्लेक्स से तीरंदाज़ी का औपचारिक प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उन्होंने कई प्रतियोगिताओं मे हिस्सा लिया और कई पदक जीते। अशोक सोरेन कहते हैं कि अगर मौका मिला तो वे फिर से तीरंदाजी करेंगे।