भ्रष्टाचार पर रोकथाम के लिए लोकसभा ने मंगलवार को भ्रष्टाचार निरोधक संशोधन विधेयक-2021 को मंजूरी दे दी। नए कानून के तहत अब रिश्वत देने वालों को भी सात साल तक की सजा होगी। राज्यसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।
विधेयक पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने इसे ऐतिहासिक करार दिया। राज्यसभा ने इस विधेयक को 43 संशोधनों के साथ पारित किया है। इसमें रिश्वत देने वाले को भी परिभाषित किया गया है। इसमें भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और ईमानदार कर्मचारियों को संरक्षण देने का प्रावधान है।
जितेंद्र सिंह ने कहा कि रिश्वत लेने वाले के साथ रिश्वत देने वाला भी समान रूप से जिम्मेदार है। विधेयक में यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी को बेवजह परेशान नहीं किया जाए। नोटबंदी को लेकर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि देश की जनता का सरकार पर भरोसा है। चुनावों में जनता का मिल रहा समर्थन इसका प्रमाण है।
5 साल बाद बिल
भ्रष्टाचार निरोधक कानून (1988) करीब तीन दशक पुराना है। इसे पहले संशोधन के लिए 2013 में पेश किया गया था। इसके बाद स्थायी समिति और प्रवर समिति में भी इस पर चर्चा हुई। साथ ही समीक्षा के लिए विधि आयोग के पास भी भेजा गया। समिति ने 2016 में अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसके बाद वर्ष 2017 में इसे दोबारा संसद में लाया गया।
बिल में खास क्या है
-लोकसेवकों पर भ्रष्टाचार का मामला चलाने से पहले केंद्र के मामले में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्तों से अनुमति लेनी होगी।
-रिश्वत देने वाले को अपनी बात रखने के लिए 7 दिन का समय दिया जाएगा, जिसे 15 दिन तक बढ़ाया जा सकता है।
-जांच के दौरान यह भी देखा जाएगा कि रिश्वत किन परिस्थितियों में दी गई है।
आगे क्या होगा
इस विधेयक को संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) में पहले ही मंजूरी मिल चुकी थी। अब लोकसभा में भी पारित हो जाने के बाद विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी मुहर लगने के साथ ही इस पर कानून बनाने का रास्ता साफ हो जाएगा।
कानूनविद केटीएस तुलसी के अनुसार, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-1988 के प्रावधान में रिश्वत की मांग करने और स्वीकार करने को ही अपराध माना गया था लेकिन नए कानून में रिश्वत देने वाले को भी इसके दायरे लाया गया है। यही सबसे बड़ा बदलाव है।