ऑनलाइन लेनदेन और एटीएम का इस्तेमाल बढ़ने के साथ बैंक या एटीएम के जरिये धोखाधड़ी की घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं। आरबीआई ने इसको गंभीरता से लेते हुए उपभोक्ताओं के हित में दिशा-निर्देश जारी किए हैं, ताकि उन्हें ऐसी घटनाओं में कोई वित्तीय नुकसान न हो। ऐसे में अगर समय पर और सावधानी से इन चार अधिकारों का इस्तेमाल किया जाए तो आपको हुए नुकसान की भरपाई हो सकती है और बैंकों को जवाबदेह ठहराया जा सकता है।
1. धोखाधड़ी की सूचना अधिकतम तीन दिन के अंदर बैंक को दें। समयसीमा में सूचना देने पर आपको एक भी रुपये का नुकसान नहीं होगा। देरी पर नुकसान का कुछ हिस्सा आपको वहन करना पड़ेगा।
2. पिन या पासवर्ड लीक होने की लापरवाही आप करते हैं तो सात दिन में बैंक को जानकारी देने पर आपको पूरा नुकसान नहीं उठाना होगा। सूचना के बाद भी गैरकानूनी लेनदेन होता है तो बैंक भरपाई करेंगे।
3. अगर तीसरे पक्ष के जरिये धोखाधड़ी हुई है और आप सूचना देने में देरी करते हैं तो 25 हजार रुपये तक का नुकसान आपको खुद वहन करना पड़ेगा। अगर धोखाधड़ी की जानकारी सात दिन बाद दी जाती है तो बैंक का बोर्ड तय करेगा कि ग्राहक को कितना नुकसान खुद वहन करना होगा।
10 दिन में पैसा मिलेगा
4. गैरकानूनी ऑनलाइन लेनदेन होने की सूचना देने के दस में बैंक को यह राशि ग्राहक को लौटानी होती है। बैंक यह राशि खाते में जमा मानते हुए ब्याज भी देंगे।क्रेडिट कार्ड से हुए गैरकानूनी लेनदेन पर कोई ब्याज नहीं देना होगा।
90 दिन में निपटारा
5. आरबीआई का दिशानिर्देश है कि बैंकों को ग्राहक से हुई धोखाधड़ी का कोई भी मामला शिकायत प्राप्त होने के 90 दिनों में निपटाना होगा। बैंकों में ऐसे मामलों के लिए एक समिति होती है।
ये सावधानियां बरतें
– एटीएम की बटनों या स्वाइप की जगह पर कोई उपकरण तो नहीं जुड़ा है, खाता बंद होने जैसी कॉलों पर ओटीपी या बैंकिंग जानकारी न दें।
– एटीएम पिन से लेनदेन स्वयं करें किसी अन्य के जरिये नहीं.
– डेबिट-क्रेडिट कार्ड के पासवर्ड बदलते रहें.
– बैंक की एसएमएस और ईमेल अलर्ट सेवा जरूर लें।
– डेस्कटॉप या लैपटॉप में एंटी वायरस का इस्तेमाल करें
– 5152 मामले धोखाधड़ी के सामने आए 2017-18 में
– 28459 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ एक साल में
– 01 लाख करोड़ रुपये की हानि पांच साल में इससे