लोकसभा में कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों का सरकार के खिलाफ लाया गया अविश्विास प्रस्ताव विपक्षी खेमे की मिशन 2019 की तैयारी है। अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य विपक्ष को पता है, पर वह इस बहाने सरकार के पांच साल बेदाग चलने पर ‘अविश्वास’ का दाग लगाना चाहता है। ताकि, जनता के सामने यह कह सके कि उसने संसद से लेकर सड़क तक केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध किया है।
विपक्षी दल जानते हैं कि सदन में आंकड़े उनके पक्ष में नहीं है। तमाम कोशिशों के बावजूद वह सरकार को नहीं गिरा सकते। पर बहस के दौरान विपक्षी दलों को उन सभी मुद्दों को सदन में उठाने का मौका मिल जाएगा। इसके साथ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग पर कांग्रेस की खास नजर रहेगी। क्योंकि, इससे साफ हो जाएगा कि कौन-कौन सरकार के खिलाफ हैं।
अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग 2019 के लिए एकजुटता साबित करने का मौका है। दलों के साथ आने से विपक्ष में एक नया विश्वास पैदा होगा। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि वोटिंग से साफ हो जाएगा कि कौन हमारे साथ है और कौन विरोध में है। पर इसके साथ नजर उनका पार्टियों पर भी रहेगी, जो मत विभाजन के दौरान वॉकआउट करेगी। यानी, वह राजनीतिक पार्टियां सरकार के साथ नहीं है।
कांग्रेस रणनीतिकार मानते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव पर मत विभाजन के वक्त जो पार्टियां तटस्थ रहती हैं, भविष्य में उन दलों को साथ लाने की कोशिश की जा सकती है। ऐसे में एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव विपक्षी दलों के लिए एक अच्छा अवसर है। समान विचारधारा वाली विपक्षी पार्टियां सरकार के खिलाफ इस मौके का पूरा फायदा उठाएगीं। ताकि, लोकसभा के लिए गठबंधन की नींव रखी जा सके।