गुप्त नवरात्रि की छठी देवी हैं त्रिपुर भैरवी हैं दृढ़ निश्चय की प्रतीक

गुप्त नवरात्रि की छठी देवी हैं त्रिपुर भैरवी हैं दृढ़ निश्चय की प्रतीक

गुप्त नवरात्रि की छठी महाविद्या त्रिपुर भैरवी हैं। इनका संबंध काल भैरव से है। यह काल भैरव की शक्ति हैं। इनके ही आदेश से काल भैरव कार्य करते हैं। देवी भगवती का यह स्वरूप विनाशकारी और विध्वंसकारी है। हमेशा विनाश और विध्वंस अशुभ नहीं होता। निर्माण से पहले विध्वसं ही होता है। जिस प्रकार से जीवन से पहले मृत्यु निश्चित है और मृत्यु के बाद जीवन निश्चित है, उसी प्रकार निर्माण के बाद विध्वंसऔर विध्वंस के बाद निर्माण निश्चित है। पुराने मकान को तोड़कर नया मकान बनता है, ठीक उसी प्रकार देवी भगवती अपने इस स्वरूप के माध्यम से विनाश से निर्माण की ओर ले जाती हैं। वह आद्या शक्ति हैं। महाविद्या हैं। जीवित और मृत दोनों ही स्थितियों में वह दंड देती हैं। वह उग्र स्वभाव की हैं।

महिषासुरमर्दिनी हैं त्रिपुर भैरवी
दुर्गा सप्तशती के अनुसार देवी त्रिपुर-भैरवी ने ही  महिषासुर नामक दैत्य का वध किया था। देवी लाल वस्त्र तथा गले में मुंड-माला धारण करती हैं समस्त शरीर एवं स्तनों में रक्त चन्दन का लेपन करती हैं। देवी, अपने दाहिने हाथों में जप माला तथा पुस्तक धारण करती हैं, बायें हाथों से वर एवं अभय मुद्रा है। कमल के आसन पर विराजमान हैं। यह स्वरूप देवी का सौम्य स्वभाव युक्त है। भगवती त्रिपुर-भैरवी ने ही, अठारह भुजायुक्त दुर्गा रूप में उत्तम मधु का पान कर महिषासुर वध किया था। इसलिए, इनको महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है।

काल भैरव की शक्ति हैं
देवी त्रिपुर-भैरवी का सम्बन्ध काल भैरव से हैं। काल भैरव को भगवान शंकर का ही अवतार माना जाता है। काल भैरव दंडाधिकारी हैं तो देवी भगवती भी दंडाधिकारिणी हैं। दुष्कर्मों का दंड यम-राज या धर्म-राज देते हैं। त्रिपुर-भैरवी, काल भैरव तथा यमराज से भला कौन नहीं डरता। श्मशान भूमि, अस्त्र-शस्त्र, मृत शव, रक्त, मांस, कंकाल, खप्पर, मदिरा पान, धूम्रपान आदि विध्वंसकारी चीजें देवी को प्रिय हैं। भूत-प्रेत, पिशाच, डाकिनी, भैरव, कुत्ते आदि उनकी सेना हैं। जीवन काल में तो प्राणी को दंड मिलता ही है, लेकिन म़ृत्योपरांत भी देवी भगवती दंड देती हैं।

त्रिपुर भैरवी और भैरव
यह मिथ्या जगत देवी में ही विलीन होना है। देवी भैरवी दृढ़ निश्चय की प्रतीक हैं।  इन्होंने ही पार्वती के स्वरूप में भगवान शिव को पति रूप में पाने का दृढ़ निश्चय किया था और तप करके अंतत: भगवान शंकर को पा लिया था। देवी के भैरव, बटुक हैं तथा भगवान नृसिंह शक्ति हैं, देवी की शक्ति का नाम काल रात्रि तथा भैरव काल भैरव हैं।

देवी के अन्य नाम
देवी त्रिपुर भैरवी अपने कई नामों से ख्यात हैं जैसे  त्रिपुर-भैरवी , कौलेश भैरवी, चैतन्य भैरवी, नित्य भैरवी, भद्र भैरवी, श्मशान भैरवी, सकल सिद्धि भैरवी, संपत प्रदा भैरवी, कामेश्वरी भैरवी।

देवी का संदेश
-साधना करो
-वासन, क्रोध, ईर्ष्या से दूर रहो
-दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ो
-विकारों और अनुचित कार्यों से दूर रहो
– अपना इहलोक और परलोक सुधारो।
-अपने अष्ट पापों का नाश करो

देवी त्रिपुर-भैरवी
ख्याति नाम : त्रिपुर-भैरवी।
अन्य: चैतन्य भैरवी, नित्य भैरवी, भद्र भैरवी, श्मशान भैरवी, सकल सिद्धि भैरवी, संपत-प्रदा भैरवी, कामेश्वरी भैरवी इत्यादि।
भैरव : वटुक भैरव।
कुल : श्री कुल।
कोण : पूर्व।
स्वरूप: सौम्य उग्र, तामसी गुण सम्पन्न।
तत्व कार्य: विध्वंस या पञ्च तत्वों में विलीन करने की शक्ति।
वर्ण : सौम्य स्वभाव में लाल, सूर्य समदृश, काले वर्ण युक्त।
पूजा- श्री दुर्गा सप्तशती में महिषासुर वध का अध्याय करें। काल भैरव की पूजा अवश्य करें।

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